हैदराबाद, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। डॉक्टरों का कहना है कि सेडेंटरी लाइफस्टाइल और शराब पीने की आदतों के कारण फैटी लीवर के मामले बढ़ रहे हैं। हर पांच में से लगभग एक व्यक्ति फैटी लिवर से प्रभावित है।
डॉक्टरों ने शुक्रवार को ‘विश्व लिवर दिवस’ के मौके पर बढ़ते स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए जागरूकता बढ़ाने और सक्रिय उपायों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया।
डॉक्टरों का कहना है कि फैटी लीवर को कभी एक छोटी मोटी समस्या के रूप में खारिज कर दिया जाता था। लेकिन यह अब मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल से संबंधित मुद्दों और हृदय संबंधी बीमारियों समेत अंतर्निहित स्वास्थ्य जोखिमों का एक शक्तिशाली संकेतक बनकर उभरा है। इसके अलावा, स्टीटोहेपेटाइटिस, सिरोसिस और यकृत (लिवर) कैंसर जैसी अधिक गंभीर जटिलताओं को रेखांकित करती है।
फैटी लीवर से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव और पौष्टिक आहार का सेवन जरूरी है। नियमित शारीरिक गतिविधि को शामिल कर लंबे समय तक फैटी लीवर के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है।
डॉक्टरों के मुताबिक, तले हुए खाद्य पदार्थों और चीनी का इस्तेमाल बहुत कम करना चाहिए। सब्जियां, दाल, प्रोटीन और आवश्यक वसा से भरपूर संतुलित आहार को अपनाना महत्वपूर्ण है।
भोजन में प्रतिदिन सब्जियों के सेवन को शामिल करें, जिसमें पर्याप्त प्रोटीन स्रोत हों। मध्यम मात्रा में घी शामिल करना और तले हुए खाद्य पदार्थों और मीठे व्यंजनों से परहेज करना, लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और फैटी लिवर जटिलताओं के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण हैं।
अमोर अस्पताल के डॉ. राजा प्रसाद ने कहा, “नियमित व्यायाम वजन को कंट्रोल में रखने में मदद करता है, जिससे लिवर की कार्यक्षमता बढ़ती है और फैटी लिवर का खतरा कम होता है। हेपेटाइटिस बी टीकाकरण वायरस की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है। नियमित जांच और लिवर फंक्शन टेस्ट लिवर की बीमारियों का जल्द पता लगाने और हस्तक्षेप के लिए महत्वपूर्ण हैं।”
–आईएएनएस
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