नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित संविधान दिवस समारोह को हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि संविधान हर भारतीय का है।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भारत के संविधान और अधिकार एवं स्वतंत्रता अकादमी की ऐतिहासिक यात्रा के लिए समर्पित भारत के पहले संग्रहालय का भी दौरा किया।
इस अवसर पर बंडारू दत्तात्रेय ने कहा, “मैं भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस ऐतिहासिक समारोह में उपस्थित होकर प्रसन्न और सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी को बधाई देता हूं। जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने संविधान संग्रहालय और राइट एंड फ्रीडम अकादमी की स्थापना के लिए अनूठे प्रयास किए। यह संग्रहालय न केवल छात्रों को संविधान के बारे में जागरूक करने में मदद करेगा, बल्कि यह जनता को भी सूचित करेगा। मेरी अपेक्षा है कि भारत के प्रत्येक राज्य में इस तरह के संविधान संग्रहालय का निर्माण हो।”
उन्होंने आगे कहा, “आज पहली संविधान सभा के दूरदर्शी सदस्यों को याद करने का भी अवसर है। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने महान संविधान का निर्माण और प्रारूप तैयार किया, जिसने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र बनाया। संविधान को गहन अध्ययन, शोध और विचार-विमर्श के बाद लिखा गया था, जो भारत जैसे विविधता भरे देश में एक वास्तविक चुनौती थी। आज यह 140 मिलियन भारतीयों की महत्वाकांक्षाओं और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव के रूप में संविधान समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के आधार पर अपने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। संविधान की पवित्रता बनाए रखना हमारे युवाओं की जिम्मेदारी है।”
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने संविधान का जिक्र करते हुए आगे कहा, “भारतीय संविधान एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जो भारत गणराज्य को शासित करने वाले ढांचे को परिभाषित करता है। 26 जनवरी 1949 को अपनाया गया संविधान एक नए राष्ट्र की सामूहिक चेतना का प्रतिनिधित्व करता है। संविधान हमारे उन मौलिक कानूनों को रेखांकित करता है, जो हमारे देश के मूल्यों, सिद्धांतों और शासन ढांचे को मूर्त रूप देते हैं। यह उन सर्वोच्च सिद्धांतों के रूप में कार्य करता है, जो राज्य के कामकाज का मार्गदर्शन करते हैं और इस प्रकार प्रत्येक नागरिक के अधिकारों और जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करते हैं। ऐतिहासिक संघर्षों, दार्शनिक आदर्शों और सामाजिक आकांक्षाओं के आधार पर यह लोकतंत्र, न्याय और समानता के प्रति राष्ट्र की सामूहिक यात्रा को दर्शाता है।”
वहीं, जेजीयू के कुलपति प्रोफेसर सी राज कुमार ने कहा, “ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति नवीन जिंदल की भारतीय संविधान के बारे में व्यापक ज्ञान, सीखने और जागरूकता लाने की आकांक्षा ही उनकी प्रेरणा रही है, जिसने संविधान संग्रहालय और अधिकार और स्वतंत्रता अकादमी का निर्माण किया। इस संग्रहालय का उद्देश्य भारत में युवाओं को प्रोत्साहित करना है, जो भविष्य के नेतृत्व की यात्रा पर जाएंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “भारत का संविधान ज्ञान का प्रकाश स्तंभ और एक स्थापित मार्ग है, जो हमारे देश को संचालित करता है। हमें भारत के युवाओं के लिए संविधान के बारे में जानकारी तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने की जरूरत है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि भारत के प्रत्येक नागरिक के पास भारतीय संविधान का ज्ञान, समझ और मूल्यांकन होना चाहिए।”
–आईएएनएस
एफएम/सीबीटी