नई दिल्ली, 20 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली सरकार को महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए डीटीसी बसों में कैमरे और ड्राइवर व कंडक्टर की सीटों पर अलर्ट बटन लगाने के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया।
राष्ट्रीय राजधानी में 16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में 23 वर्षीय युवती के साथ हुए क्रूरतापूर्ण सामूहिक दुष्कर्म के बाद 2012 में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए अदालत ने महिलाओं की सुरक्षा पर कई सवाल उठाए थे।
न्यायमूर्ति कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने डीटीसी बसों में कैमरों की मौजूदगी, सीसीटीवी खंभों पर पुश-टू-टॉक बटन लगाना, सीसीटीवी फुटेज की संरक्षण अवधि और क्या कोई ऑडिट किया गया है, इस बारे में सरकार के वकील से सवाल किया।
इसने दिल्ली सरकार से डीटीसी बसों में कैमरे और अलर्ट बटन को शामिल करने की व्यवहार्यता का विवरण देने के साथ-साथ सीसीटीवी डेटा की संरक्षण अवधि और महिला उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक परिवहन में होर्डिंग्स या पोस्टर लगाने पर विचार सहित पहले के आदेशों के अनुपालन की जानकारी देने के लिए एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा।
अदालत ने ऐसे अधिकांश वाहनों में कार्यात्मक पैनिक बटन की कमी के बारे में चिंताओं को ध्यान में रखते हुए महिला यात्रियों के लिए टैक्सियों में सुरक्षा उपायों के बारे में भी जानकारी मांगी।
अक्टूबर में अदालत ने आप सरकार से महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और महिला सुरक्षा बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में बसों और अन्य सार्वजनिक परिवहन में पोस्टर या होर्डिंग लगाने पर अपना रुख बताने को कहा था।
एमिकस क्यूरी के रूप में कार्यरत वकील मीरा भाटिया ने सुझाव दिया था कि दिल्ली सरकार को पोस्टर लगाने पर विचार करना चाहिए जो दर्शाता है कि उत्पीड़न एक गंभीर और दंडनीय अपराध है, क्योंकि यह एक निवारक के रूप में कार्य करेगा। दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया था कि सीसीटीवी पोल पर “पुश-टू-टॉक या पैनिक बटन” लगाने पर दिल्ली पुलिस का प्रौद्योगिकी प्रभाग सक्रिय रूप से विचार कर रहा है।
अगस्त में दिल्ली पुलिस ने अदालत को सूचित किया था कि महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के प्रयासों के तहत राष्ट्रीय राजधानी के संवेदनशील इलाकों में रणनीतिक रूप से कुल 6,630 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। कोर्ट को बताया गया कि इन कैमरों की निगरानी 50 मास्टर कंट्रोल रूम के जरिए की जा रही है।
–आईएएनएस
एसजीके