जबलपुर. एमडी-एमएस कोर्स में दाखिले के लिए नीट पीजी काउंसलिंग में प्रदेश के रजिस्टर्ड कैंडिडेट्स की मैरिट सूची को निरस्त करने के आदेश जारी किये है. हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड को निर्देश किया है कि प्रदेश के इन सर्विस उम्मीदवार की नयी सूची तैयार की गयी.
सूची तैयार करने में उम्मीदवारों को उनके रॉ अंक नहीं बल्कि इन्सेन्टिव अंक के आधार पर प्रोत्साहन अंक दिये जाये. सामान्यीकृत अंकों के आधार पर प्रोत्साहन अंक देकर इसे नए सिरे से तैयार करे.
रीवा के डॉ. अभिषेक शुक्ला व अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि नीट के नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाते हुए पीजी कोर्स में दाखिले के लिए मेरिट लिस्ट तैयार की गयी थी. प्रदेष सरकार द्वारा प्रदेष के रजिस्टर्ड कैंडिडेट्स की मैरिट लिस्ट तैयार करने में दूसरी बार नॉर्मलाइज़ेशन प्रोसेस को अपनाया गया है. जिसके कारण नीट की ऑल इंडिया मैरिट लिस्ट में अच्छी रेटिंग होने के बावजूद भी प्रदेश की मेरिट लिस्ट में उनका स्थान नीचे हो गया.
हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए काउंसलिंग के रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगाते हुए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड को अनावेदक बनाये जाने की अनुमति देते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. एनबीईएमएस की तरफ से पेश किये गये जवाब में कहा गया था कि रैंकिंग सापेक्ष प्रदर्शन के आधार पर दी गयी है.
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि यह समझ के बाहर है कि कैसे और क्यों दो उम्मीदवारों के बीच सापेक्ष प्रदर्शन केवल उन्हें अलग-अलग सूचियों में रखने से बदल सकता है. कैसे एक उम्मीदवार जिसने अखिल भारतीय रैंक सूची में दूसरे उम्मीदवार की तुलना में अधिक अंक प्राप्त किए हैं, उसी उम्मीदवार की तुलना में राज्य सूची में कम अंक प्राप्त किए हैं.
युगलपीठ ने आदेश में कहा गया है कि मध्य प्रदेश में, इन-सर्विस उम्मीदवार की कठिन ग्रामीण परिस्थितियों में पोस्टिंग है और वह अपनी सेवा प्रदान कर रहे है. सेवा की अवधि के आधार पर अपने रॉ स्कोर में 10, 20, और 30 प्रतिशत प्रोत्साहन अंक पाने के हकदार हैं. युगलपीठ ने प्रदेश के उम्मीदवारों को मेरिट लिस्ट निरस्त करते हुए सामान्यीकृत अंकों के आधार पर प्रोत्साहन अंक देकर इसे नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करने के आदेश जारी किये है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संधी ने पैरवी की.