जबलपुर. हाईकोर्ट में होने वाली भर्तियों में आरक्षण नियम लागू नहीं किये जाने के चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद सभी भर्तियां याचिका के निर्णयधिन रहने के आदेश जारी किये है.
मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति तथा जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ ( अजाक्स ) की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 मे एससी तथा एसटी का एक भी अभ्यर्थी का चयन नहीं हुआ है. परीक्षा के रिजल्ट मे अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ 113 अंक तथा ओबीसी के लिए 109 अंक थे. आरक्षित वर्ग के जिन मेरिटोरियस छात्रों ने 113 से 129 अंक प्राप्त उनका चयन अनारक्षित वर्ग में नही किया गया. एससी-एसटी वर्ग के एक भी अभ्यर्थी का चयन नहीं होने के कारण हाईकोर्ट ने नॉट फॉर सूटेबल मानकर रिक्त पदों को सामान्य वर्ग से भरने की अनुमति प्राप्त करने प्रदेश शासन को पत्र लिखा है.
याचिका में कहा गया था कि पूर्व में दायर की गयी याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने स्वीकार किया था कि प्रारंभिक तथा परीक्षा में अनारक्षित वर्ग के 50 प्रतिशत अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया जाता है. स्टेनो तथा सहायक ग्रेड 3 के पदों पर भर्ती के लिए अनारक्षित वर्ग का कट ऑफ 74 तथा आरक्षित वर्ग के लिए कट ऑफ 88 अंक था.
याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट में होने वाली भर्तियों में आरक्षण नियम तथा प्रदेश सरकार के गाइडलाइन का पालन नहीं किया जाता है. याचिका में कहा गया था कि साक्षात्कार में 50 में 20 अंक लाना अनिवार्य है. हाईकोर्ट संविधान के अनुच्छेद 234 का हवाला देकर इसे मनमाने रूप से लागू करती है. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट में होने वाली भर्तियां याचिका के निर्णयधिन रहेंगी. युगलपीठ ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल,प्रमुख सचिव तथा विधि सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर तथा विनायक शाह ने पैरवी की.
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