जबलपुर. हाईकोर्ट के निर्देश पर जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल समाप्त करते हुए सुरक्षा सहित दस मांग प्रस्तुत की थी. हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस सुरेष कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए आदेष जारी किये है कि अपनी मांग व दिक्कतों के संबंध में सरकार के द्वारा गठित समिति के समक्ष डॉक्टर अपने सुझाव पेष करें.
इस बात समिति सुझाव दो सप्ताह में अंदर सुझाव पर विचार करते हुए डॉक्टरों के प्रतिनिधि मंडल को चर्चा के लिए बुलाये. याचिका पर अगली सुनवाई 20 जनवरी को निर्धारित की गयी थी.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई घटना के विरोध में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये थे. डॉक्टरों के विभिन्न संगठनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया था. डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के खिलाफ नरसिंहपुर निवासी अंशुल तिवारी ने चुनौती दी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने हड़ताल समाप्त कर तत्काल काम पर वापस लौटने के निर्देश दिये थे. हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन को निर्देशित किया था कि अपनी मांग न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें,जिनका अधिकारियों के द्वारा समाधान नहीं किया गया है.
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से सुरक्षा सहित दस मांग की सूची प्रस्तुत की गयी थी. सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया था कि केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने केंद्रीय सरकारी अस्पतालों और संस्थानों के सभी निदेशक व चिकित्सा अधीक्षक, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के निदेशक, मेडिकल कॉलेजों के निदेशक व प्राचार्यों को निर्देश दिया गया है कि ड्यूटी के दौरान किसी भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता के खिलाफ किसी भी हिंसा की स्थिति में संस्थान का प्रमुख घटना के अधिकतम छह घंटे के भीतर संस्थागत एफआईआर दर्ज करने के लिए जिम्मेदार होगा.
राज्य सरकार भी डॉक्टरों की स्थिति से अवगत है और सभी चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी सक्रिय कदम उठाएगी. युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया था कि संबंधित मांग पर कार्यवाही करें.
याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि डॉक्टरों की मांग संबंधित याचिका सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता संजय अग्रवाल,अधिवक्ता अभिषेक पांडे ,जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की तरफ से अधिवक्ता महेन्द्र पटैरिया ने पक्ष रखा.