उमरिया/भोपाल. बांधवगढ़ में हाथियों की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा हैं, इधर वन विभाग के निचले अधिकारियों के साथ सूत्रों ने इस बात की दबी जुबान से पुष्टि की हैं कि लगातार तीन दिनोंं तक हाथी मृत्यु के पहले चिंघाड़ते (कराहते) रहे लेकिन अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी किसी ने सुध नहीं ली.
गत दिवस पर्यावरण विदों, वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने इस मामले में साजिशन हत्या का आरोप लगाया था. पर्यावरण विदों, वन्य प्राणी विशेषज्ञों के साथ वन विभाग के सूत्रों द्वारा दबी जुबान से कही जा रही बात की कांग्रेस के प्रदेश के शीर्ष नेताओं के गंभीर आरोपों ने पुष्टि कर दी हैं.
बांधवगढ़ रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर निलंबित
कांग्रेस के प्रदेश के शीर्ष नेताओं ने सप्रमाण आरोप लगाया हैं कि बांधवगढ़ में एक रसूखदार द्वारा बनाए गए रिसोर्ट हाथियों की वजह से चल नहीं पा रहा था जिसके चलते बड़े ही सुनियोजित तरीके से हाथियों को मौत के घाट उतार गया हैं. अब मामले में लीपापोती करने कहीं आनन-फानन में फोरेंसिक रिपोर्ट सामने लाई जा रही हैं जिसमें यह साबित करने का प्रयास किया जा रहा हैं कि अमलीय कोदो बाजरा खाने से हाथियों की मृत्यु हुई.
उमरिया जिला स्थित बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की मौत के मामले में गत दिवस फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देकर कहा गया कि हाथियों की मौत कोदो बाजरा में साइक्लोपियाजोनिक एसिड पाए जाने से हुई. इधर हाथियों की मौत पर कांग्रेस पहले ही राज्य सरकार व वन मंत्री रामनिवास रावत पर हमलावर है.
पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है. वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का आरोप है कि हाथियों को जहर दिया गया है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने क्षेत्र के रिसॉर्ट संचालकों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. हाथियों की मौत के मामले की जांच के लिए दिल्ली से आई टीम बांधवगढ़ में डेरा डाले है.
टीम के सदस्य घटना के कारणों की बारीकी से जांच कर रहे हैं. कमलनाथ ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क में 10 हाथियों की मृत्यु को एक सप्ताह से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन दोषियों को पकडऩा तो दूर मध्यप्रदेश सरकार अब तक हाथियों की मृत्यु के कारण को भी स्पष्ट नहीं कर सकी है. यह अत्यंत चिंता का विषय है.