भोपाल, 10 जनवरी (आईएएनएस)। थोड़ी सी शारीरिक अक्षमता व्यक्ति को निराश कर देती है मगर मध्य प्रदेश के मैहर में चल रहे राष्ट्रीय दिव्यांग प्रीमियर लीग (डीपीएल) में हिस्सा ले रहे खिलाड़ी एक नई उम्मीद और रोशनी की कहानी बयां करते हैं। हादसों ने भले ही इनके हाथ और पैर छीन लिए हो मगर उनके इरादों को कमजोर नहीं कर पाए।
मैहर के उस्ताद अलाउद्दीन खान स्टेडियम में आईपीएल की तर्ज पर डीपीएल टूर्नामेंट चल रहा है। दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन मध्य प्रदेश और मधुरिमा सेवा संस्कार संस्थान के संयुक्त बैनर तले चल रहे इस टूर्नामेंट में दिव्यांग खिलाड़ी न केवल अपने खेल से दर्शकों का दिल जीत रहे हैं बल्कि हालात से लड़ने की कहानी भी बता रहे हैं।
बिहार के धर्मेंद्र कुमार को एक हादसे में अपना पैर गंवाना पड़ा। इस विपत्ति ने उनके सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी, मगर उन्होंने हार नहीं मानी और क्रिकेट खेलना जारी रखा। धीरे-धीरे उनका खेल निखरता गया और आज वह राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। वह कई देशों के खिलाफ भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम की ओर से हिस्सेदारी भी कर चुके हैं।
धर्मेंद्र कुमार बताते हैं कि उन्होंने कभी भी यह नहीं माना कि उनका एक पैर नहीं है। वह न केवल मोटरसाइकिल चला लेते हैं बल्कि जीप भी दौड़ने में पीछे नहीं रहते। उनकी जिंदगी पर एक पैर गंवाने का किसी तरह से असर नहीं है। इसमें सबसे ज्यादा सहयोग परिवार के सदस्यों का रहा है।
ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं ग्वालियर के रामबरन उनके दोनों हाथों के पंजे क्षतिग्रस्त हैं। इसके बावजूद वह क्रिकेट के मैदान में अपना जौहर दिखाने में पीछे नहीं रहते। उनका मानना है कि इरादे मजबूत हो तो कोई बाधा आपको रोक नहीं सकती।
टूर्नामेंट आयोजित करने वाली मधुरिमा सेवा संस्कार संस्थान की प्रमुख डॉ. स्वप्ना वर्मा का कहना है कि यह टूर्नामेंट उन दिव्यांगों के लिए बड़ी सीख देगा जो शारीरिक क्षति पर निराश हो कर बैठ जाते हैं। यहां आए खिलाड़ी यह बता रहे हैं कि शारीरिक तौर पर कमी उनके इरादों को रोक नहीं सकती।
–आईएएनएस
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