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Home ताज़ा समाचार

हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी , पीएम ने वैश्विक मंचों पर भी हिंदी को बढ़ावा दिया : अमित शाह

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September 14, 2024
in ताज़ा समाचार
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नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता के नाम संदेश जारी किया। शुभकामानएं देते हुए बड़ी जानकारी दी कि राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

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उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

–आईएएनएस

आरके/केआर

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नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता के नाम संदेश जारी किया। शुभकामानएं देते हुए बड़ी जानकारी दी कि राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

–आईएएनएस

आरके/केआर

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नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता के नाम संदेश जारी किया। शुभकामानएं देते हुए बड़ी जानकारी दी कि राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

–आईएएनएस

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केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

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केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

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केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

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केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

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केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता के नाम संदेश जारी किया। शुभकामानएं देते हुए बड़ी जानकारी दी कि राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

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केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

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केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

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नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता के नाम संदेश जारी किया। शुभकामानएं देते हुए बड़ी जानकारी दी कि राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता के नाम संदेश जारी किया। शुभकामानएं देते हुए बड़ी जानकारी दी कि राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता के नाम संदेश जारी किया। शुभकामानएं देते हुए बड़ी जानकारी दी कि राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की जनता के नाम संदेश जारी किया। शुभकामानएं देते हुए बड़ी जानकारी दी कि राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

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केंद्रीय गृहमंत्री ने एक्स पोस्ट में लिखा, इस वर्ष हिंदी दिवस हमारे लिए इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के बाद आज 75वें साल में ‘राजभाषा हीरक जयंती’ मनाई जाएगी। 75 वर्षों की यह यात्रा हिंदी के लिए, राजभाषा के लिए और सभी राज्यों की अपनी-अपनी भाषाओं के लिए महत्वपूर्ण रही है। हिंदी ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन आज हिंदी और किसी स्थानीय भाषा के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। एक तरह से हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बंगाली हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।

उन्होंने कहा, “हिंदी आंदोलन को ध्यान से देखें तो राज गोपालाचार्य हों, महात्मा गांधी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल हों, लाला लाजपत राय हों, नेताजी सुभाष चंद्र बोस हों या आचार्य कृपलानी हों, सभी ऐसे क्षेत्रों से आए थे जहां हिंदी नहीं बोली जाती थी। फिर भी इन लोगों ने हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दिलाई। पिछले दस सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम हुआ है। पीएम मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी में संबोधित कर देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।”

उन्होंने कहा, “पिछले दस वर्षों में हमने कई स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए हैं। हमने हिंदी को सरकारी कामकाज का प्रमुख हिस्सा बनाने का प्रस्ताव दिया है। आने वाले दिनों में राजभाषा विभाग आठवीं अनुसूची की सभी भाषाओं में हिंदी से अनुवाद के लिए एक पोर्टल ला रहा है, जिसके माध्यम से हम बहुत ही कम समय में एआई की मदद से सभी भाषाओं में पत्रों और भाषणों का अनुवाद कर सकेंगे। इस पहल से हिंदी और स्थानीय भाषाओं को बहुत मजबूती मिलेगी।”

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