लखनऊ, 9 अगस्त (आईएएनएस)। लखनऊ के मौलाना सूफियान निजामी ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है जिसमें कोर्ट ने हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर मुंबई के एक कॉलेज के प्रतिबंध लगाने वाले फैसले पर रोक लगा दी। मौलाना ने कहा कि भारत देश में हर शख्स को यह अधिकार है कि वह क्या खाए, क्या पहने। जब हम किसी दूसरे धर्म पर कोई आपत्ति नहीं जताते हैं तो हमारे धर्म और हमारे पहनावे पर आपत्ति क्यों जताई जाती है।
उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है इस फैसले ने उन लोगों को जोर का झटका लगा है जो धर्म के आधार पर लोगों को देखते हैं।
बता दें कि मुंबई के एक कॉलेज ने छात्राओं को परिसर में हिजाब-बुर्का और नकाब पहनने पर रोक लगाई थी। इसके खिलाफ छात्र संगठन भी आगे आए। हालांकि, 26 जून को हाई कोर्ट ने कॉलेज के प्रतिबंध वाले फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। कहा गया था कॉलेज के द्वारा बनाए गए नियम उनके मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हैं।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह जवाब उन्हें 18 नवंबर तक देना होगा। कोर्ट ने पूछा है कि छात्र-छात्राओं को आजादी है कि वह क्या पहनें और इसे लेकर कॉलेज उन पर दबाव नहीं बना सकता है कि वह क्या नहीं पहन सकते हैं। कोर्ट ने आगे फटकार लगाते हुए कहा कि आपने उन छात्राओं पर रोक क्यों नहीं लगाई जो बिंदी और माथे पर तिलक लगाकर आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए मुंबई के कॉलेज द्वारा शैक्षणिक परिसर में हिजाब, स्टोल, टोपी आदि पहनने पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश पर रोक लगा दी है। हालांकि न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि कॉलेज परिसर में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और कक्षाओं के अंदर लड़कियां बुर्का नहीं पहन सकतीं।
इधर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कॉलेज में पढ़ने वाले छात्राएं खुश हैं। क्योंकि, कॉलेज के फैसले से छात्रों के बीच भी एक खाई खड़ी हो गई थी।
–आईएएनएस
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