नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। वर्ष 2024 के लिए प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को प्रदान किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें हिंदी साहित्य में उनके अद्वितीय योगदान, सृजनात्मकता और विशिष्ट लेखन शैली के लिए दिया जा रहा है।
विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के 12वें साहित्यकार हैं, जिन्हें यह सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान प्राप्त हो रहा है। वह ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले छत्तीसगढ़ के पहले लेखक भी बन गए हैं।
ज्ञानपीठ प्रवर परिषद की बैठक में शनिवार को इसकी घोषणा की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रतिष्ठित लेखिका एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय ने की। इसमें परिषद के सदस्य माधव कौशिक, दामोदर मावजी, प्रभा वर्मा, डॉ. अनामिका, डॉ. ए. कृष्णा राव, प्रफुल्ल शिलेदार, डॉ. जानकी प्रसाद शर्मा और ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनंद शामिल थे। सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि हिंदी साहित्य में विनोद कुमार शुक्ल के योगदान को सम्मानित करने के लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार, 2024 प्रदान किया जाए।
विनोद कुमार शुक्ल का जन्म जनवरी 1937 में हुआ था। वह हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखक, कवि और उपन्यासकार हैं, जो अपनी सरल भाषा, गहरी संवेदनशीलता और अनूठी लेखन शैली के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने आधुनिक हिंदी साहित्य में प्रयोगधर्मी लेखन की एक नई धारा स्थापित की है। उनकी पहली कविता संग्रह ‘लगभग जय हिंद’ वर्ष 1971 में प्रकाशित हुई थी। उनके प्रमुख उपन्यासों में ‘नौकर की कमीज़’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘खिलेगा तो देखेंगे’ शामिल हैं।
उनकी कविताएं और कहानियां आम जीवन की बारीकियों को सहज भाषा में प्रस्तुत करती हैं। उनके लेखन में आम आदमी की भावनाएं, रोजमर्रा की जिंदगी और समाज की जटिलताओं का मार्मिक चित्रण मिलता है। इसके लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार देश का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है, जो भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य रचने वाले रचनाकारों को प्रदान किया जाता है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के अंतर्गत 11 लाख रुपये की पुरस्कार राशि, वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार भारतीय साहित्य के क्षेत्र में दिए जाने वाले सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है।
विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने की घोषणा के साथ ही हिंदी साहित्य प्रेमियों में हर्ष की लहर दौड़ गई है। यह पुरस्कार उनकी साहित्यिक साधना और सृजनशीलता का सम्मान है, जिसने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनके लेखन की गहराई और सहज अभिव्यक्ति ने साहित्य प्रेमियों के मन में गहरी छाप छोड़ी है। उनकी इस उपलब्धि से हिंदी साहित्य जगत में गर्व और उत्साह का माहौल है। यह सम्मान न केवल विनोद कुमार शुक्ल के लेखन का सम्मान है, बल्कि यह हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति उनकी अनवरत सेवा और समर्पण को भी प्रमाणित करता है।
–आईएएनएस
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