नई दिल्ली, 29 अप्रैल (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने सरकार पर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में चीफ इंजीनियर के पद पर नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाया।
राजेंद्र राणा ने कहा कि हमीरपुर में चीफ इंजीनियर के पद का अतिरिक्त कार्यभार एक ऐसे अधिकारी को सौंपा गया है, जो वरिष्ठता सूची में पांचवें स्थान पर है। इस नियुक्ति के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई थी, जिसका फैसला भी अतिरिक्त कार्यभार के खिलाफ आया है।
राजेंद्र राणा ने बताया कि हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि उक्त अधिकारी प्रमोशन लिस्ट में पांचवें नंबर पर होने के कारण इस पद के लिए पात्र नहीं है और इस नियुक्ति को रद्द किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर रही है। यह सरकार का अहंकार दर्शाता है कि वह कोर्ट के फैसलों को ताक पर रखकर मनमानी कर रही है। यह लोकतंत्र और प्रशासनिक पारदर्शिता के लिए शर्मनाक है।
पूर्व विधायक ने सरकार द्वारा हाल ही में 200 करोड़ रुपये की बकाया पेमेंट बहाल करने के दावे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है, लेकिन अभी भी हजारों करोड़ रुपये का पेमेंट बकाया है। राणा ने तंज कसते हुए कहा कि 200 करोड़ रुपये देकर सरकार ऐसा जता रही है जैसे कोई बड़ा एहसान किया हो। यह जनता के पैसे हैं, जिन्हें समय पर देना सरकार की जिम्मेदारी है।
राजेंद्र राणा ने पेखूबाल सोलर पावर प्लांट में कथित तौर पर करोड़ों रुपये के घोटाले का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि इस मामले में व्यापक अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई हैं, लेकिन सरकार ने इस पर कोई जवाब देना तक उचित नहीं समझा। राणा ने आरोप लगाया कि सरकार की चुप्पी घोटाले की पुष्टि करती है और यह जनता के साथ विश्वासघात है। इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
–आईएएनएस
एकेएस/सीबीटी