रांची, 9 जनवरी (आईएएनएस)। अब ईडी या सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां झारखंड सरकार के अफसरों को अगर कोई समन या नोटिस भेजती हैं तो अफसर सीधे उनके समक्ष हाजिर नहीं होंगे। इसके बजाय वे इसकी सूचना अपने विभाग प्रमुख के जरिए राज्य सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को देंगे।
विभाग राज्य सरकार के बाहर की किसी भी जांच एजेंसी के ऐसे नोटिस या समन के कानूनी पहलुओं को देखेगा और इसके बाद संबंधित अफसर को निर्देशित करेगा कि उन्हें समन या नोटिस के जवाब में आगे किस प्रक्रिया का पालन करना है। यह निर्णय मंगलवार शाम सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में आयोजित झारखंड कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। कैबिनेट ने इस आशय से संबंधित एसओपी ( दिशा-निर्देश) को स्वीकृति प्रदान कर दी।
गौरतलब है कि पिछले दो वर्षों में ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों ने अलग-अलग मामलों में राज्य के कई अफसरों को समन किया है। ऐसे में झारखंड कैबिनेट के इस निर्णय के अहम मायने निकाले जा रहे हैं। राज्य सरकार का मानना है कि विगत कुछ समय से राज्य के बाहर की जांच एजेंसियां राज्य सरकार के सक्षम प्राधिकार को सूचना उपलब्ध कराए बगैर पदाधिकारियों को सीधे समन और नोटिस भेजकर उन्हें उपस्थित होने को कहते हैं। कई मामलों में जांच एजेंसी द्वारा सरकारी रिकॉर्ड्स और दस्तावेज की भी मांग की जाती है। कुछ मामलों में अफसर अपने विभागीय प्रधान को जानकारी दिए बगैर सरकारी दस्तावेज और रिकॉर्ड एजेंसी को सौंप देते हैं।
राज्य सरकार का मानना है कि यह प्रचलित नियमों के अनुकूल नहीं है। इससे सरकारी कार्यालय में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और सरकारी कार्य भी बाधित होता है। यह भी संभावना है कि जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराए गए दस्तावेज अपूर्ण हों और इससे राज्य या बाहरी एजेंसी की जांच भी प्रभावित हो सकती है। राज्य सरकार का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए दिशानिर्देश तैयार किया गया है।
–आईएएनएस
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