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हैकर भारत को बना रहे सबसे ज्‍यादा निशाना, विशेषज्ञों के अनुसार कारण धार्मिक

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August 7, 2023
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हैकर भारत को बना रहे सबसे ज्‍यादा निशाना, विशेषज्ञों के अनुसार कारण धार्मिक
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नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। सुरक्षा शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर 2023 की पहली तिमाही में हैकिंग की घटनाओं में वृद्धि देखी है, जिसमें भारत धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म का प्रमुख लक्ष्य बनकर उभरा है। सोमवार को आई एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

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इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

–आईएएनएस

एकेजे

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नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। सुरक्षा शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर 2023 की पहली तिमाही में हैकिंग की घटनाओं में वृद्धि देखी है, जिसमें भारत धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म का प्रमुख लक्ष्य बनकर उभरा है। सोमवार को आई एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

–आईएएनएस

एकेजे

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नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। सुरक्षा शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर 2023 की पहली तिमाही में हैकिंग की घटनाओं में वृद्धि देखी है, जिसमें भारत धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म का प्रमुख लक्ष्य बनकर उभरा है। सोमवार को आई एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

–आईएएनएस

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। सुरक्षा शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर 2023 की पहली तिमाही में हैकिंग की घटनाओं में वृद्धि देखी है, जिसमें भारत धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म का प्रमुख लक्ष्य बनकर उभरा है। सोमवार को आई एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। सुरक्षा शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर 2023 की पहली तिमाही में हैकिंग की घटनाओं में वृद्धि देखी है, जिसमें भारत धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म का प्रमुख लक्ष्य बनकर उभरा है। सोमवार को आई एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

–आईएएनएस

एकेजे

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नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। सुरक्षा शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर 2023 की पहली तिमाही में हैकिंग की घटनाओं में वृद्धि देखी है, जिसमें भारत धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म का प्रमुख लक्ष्य बनकर उभरा है। सोमवार को आई एक नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

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शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी क्षेत्र को हैक्टिविस्ट हमलों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ा, इसके बाद गैर-लाभकारी, शिक्षा, ऑटोमोबाइल, वित्त एवं बैंकिंग, और ऊर्जा-तेल और गैस क्षेत्र रहे।

शोधकर्ताओं ने कहा, “गैर-लाभकारी क्षेत्र अत्यधिक असुरक्षित था और उसने कई हमलों का अनुभव किया। हालांकि इन हमलों का अपेक्षाकृत कम प्रभाव पड़ा। दूसरी ओर, कभी-कभी ऑटोमोबाइल और शिक्षा क्षेत्रों को विरूपण, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (डीडीओएस) हमलों और गूगल डॉर्किंग तकनीकों का उपयोग करके खुले तौर पर उपलब्ध डेटा के माध्यम से कथित डेटा लीक के उदाहरणों का सामना करना पड़ा।”

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि हैक्टिविस्ट समूहों ने सभी क्षेत्रों में समान रणनीति अपनाई है, जिसमें डीडीओएस हमले हैकरों के पसंदीदा हैं।

वित्त और बैंकिंग क्षेत्र में डीडीओएस हमलों ने उनकी इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं को लक्षित किया, जबकि ऊर्जा क्षेत्र पर हमलों का उद्देश्य सरकारों को संदेश देना और लोकप्रियता हासिल करना था।

लक्षित देशों में सरकारी बुनियादी ढांचे, प्रमुख कंपनियों और संगठनों पर बार-बार होने वाले डीडीओएस हमलों के गंभीर परिणाम हुए, जिनमें सेवा व्यवधान, परिचालन संबंधी गड़बड़ी, वित्तीय नुकसान और प्रतिष्ठित क्षति शामिल है।

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साइबर सुरक्षा फर्म क्‍लाउडसेक के अनुसार, 2023 की पहली तिमाही में हैक्टिविज्म परिदृश्य में भारी बदलाव आया। अप्रैल में हैकिंग हमले 35 प्रतिशत बढ़ गए। हालांकि मई में औसत में थोड़ी कमी आई, लेकिन जून में भी ऐसे ही रुझान देखे गए।

इसके अलावा, रिपोर्ट में बताया गया है कि हैकरों ने 2021 से 2023 तक दुनिया भर में कुल 67 देशों को निशाना बनाया है।

इनमें भारत सबसे अधिक लक्षित देश के रूप में उभरा है। इसके बाद इज़राइल, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान का स्थान रहा। इसने अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया सहित दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित किया, जो इन साइबर खतरों की व्यापक उपस्थिति का संकेत देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, “भारत, इज़राइल, डेनमार्क और स्वीडन जैसे देश धार्मिक कारणों से हैक्टिविज्म के प्रमुख लक्ष्य के रूप में उभरे, जबकि पोलैंड, यूक्रेन, लातविया और अन्य पर हैक्टिविस्ट हमले मुख्य रूप से राजनीतिक कारकों से प्रेरित थे।”

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