नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। हर 10 में से 9 (93 प्रतिशत) भारतीय बिजनेस लीडर्स का मानना है कि अगले साल उनका साइबर सिक्योरिटी बजट बढ़ सकता है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में गुरुवार को दी गई।
रिपोर्ट में बताया गया, “17 प्रतिशत भारतीय बिजनेस लीडर्स का मानना है कि उन्हें अपना बजट 15 प्रतिशत या उससे अधिक बढ़ाना होगा। यह पिछले साल के मुकाबले एक प्रतिशत ज्यादा है।”
पीडब्ल्यूसी इंडिया की ‘डिजिटल ट्रस्ट इनसाइट्स 2025’ रिपोर्ट में कहा गया कि साइबर खतरों को देखते हुए डेटा को सुरक्षित रखने के लिए 42 प्रतिशत भारतीय बिजनेस लीडर्स डेटा प्रोटेक्शन को प्राथमिकता देना चाहते हैं।
पीडब्ल्यूसी इंडिया में रिस्क कंसल्टिंग के पार्टनर और लीडर, शिवराम कृष्णन ने कहा, “एडवांस टेक्नोलॉजी को अपनाकर, मूलभूत साइबर सुरक्षा सिद्धांतों का पालन करके और संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करके, संगठनों की सुरक्षा को मजबूत करने और अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहने की जरूरत है।”
क्लाउड से संबंधित खतरे सबसे बड़ी चिंता बने हुए हैं, 55 प्रतिशत भारतीय एग्जीक्यूटिव ने इसे सबसे चिंताजनक साइबर जोखिम बताया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
हालांकि, 50 प्रतिशत सिक्योरिटी लीडर्स और मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) आने वाले वर्ष में इन खतरों से निपटने के लिए कम से कम तैयार महसूस करते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जनरल एआई साइबर निवेश प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है, पिछले 12 महीनों में 87 प्रतिशत संगठनों ने इसमें अपना निवेश बढ़ाया है।
इसके अतिरिक्त 86 प्रतिशत संगठनों ने अपनी जोखिम प्रबंधन रणनीतियों के हिस्से के रूप में एआई प्रशासन पर अपना खर्च बढ़ाया है। 80 प्रतिशत भारतीय कंपनियां एआई नियमों का अनुपालन करने की अपनी क्षमता में अत्यधिक आश्वस्त हैं।
–आईएएनएस
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