जबलपुर. शहर ही नहीं समूचे संभाग के साथ प्रदेश में सड़कों के हालात सुधरने के बावजूद खासतौर पर शहरी क्षेत्रों में जरूरतमंद के फोन करने के 20 से 30 मिनट बाद 108 एंबुलेंस पहुंच पा रही हैं. यह स्थिति केवल शहर और संभाग की नहीं अपितु समूचे प्रदेश में दौड़ रही सभी एंबुलेंस का औसत समय हो गया हैं जबकि कहीं 15 मिनट तो कहीं 25 मिनट तक भी एंबुलेंस पहुंचने में लग रहे हैं.
बताया जा रहा हैं कि शहरी क्षेत्र में 18 मिनट में एंबुलेंस पहुंचनी चाहिए लेकिन 108 एंबुलेंस औसतन 20 मिनट में पहुंच पा रहीं हैं. खासतौर पर जबलपुर संभाग में यह स्थिति और भी विषम हैं पीडि़तों की मानें तो कभी-कभी एंबुलेंस पहुंचने में और एंबुलेंस से अस्पताल तक पहुंचने में घंटे भर से ज्यादा का समय भी लग जाता हैं.
आम जरुरतमंदों को जरुरी स्वास्थ्य सेवाएं जल्दी से जल्दी मिले इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने एंबुलेंस सेवा प्रारंभ की थी. इससे आम लोगों को लाभ तो मिल रहा है लेकिन जबलपुर संभाग के साथ कई अन्य जिलों में कहीं-कहीं लेटलतीफी के चक्कर में बहुत देर हो जाती है. इसको सुधारने के लिए अर्थदंड भी लगाया जा रहा जिससे व्यवस्था बन सके. एनएचएम संचालन करने वाली कंपनी पर कार्रवाई कर रही है.
बताया जा रहा हैं कि एंबुलेंस का संचालन कर रही जेएईएस कंपनी पर हर माह 15 लाख रुपये से अधिक का अर्थदंड लगाया जा रहा हैं. बताया जा रहा हैं कि एंबुलेंस सेवा शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों बेहतर कार्य कर रही है. इसके पीछे कई अन्य वजहेंं भी बताई जा रही हैं.
हर माह 15 लाख के जुर्माने के बावजूद नहीं सुधरी स्थिति
मानक समय से देरी के चलते एंबुलेंस संचालन करने वाली जेएईएस कंपनी पर हर माह 15 लाख रुपये से अधिक अर्थदंड राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की ओर से लगाया जा रहा है. अर्थदंड कुल देयक में से प्रति मिनट औसत देरी के अनुसार निर्धारित प्रतिशत में लगाया जाता है. एंबुलेंस देर से पहुंचने के शिकायती वीडियो आए दिन इंटरनेट मीडिया पर बहु प्रसारित होते हैं. इसमें कई बार ड्राइवर की भी लापरवाही सामने आई है तो कभी दूसरे कारण भी रहते हैं.
जैसे नजदीकी एंबुलेंस कहीं और व्यस्त होने में दूसरी जगह से वाहन भेजना पड़ता है, जिससे देरी होती है. यातायात अवरुद्ध होने से भी वाहन समय पर नहीं पहुंच पाते. हाल का नया मामला सीधी शहर का एक नवंबर का है. इसमें एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचने पर एक गर्भवती का पति उसे सामान ढोने वाले हाथ रिक्शे में लेकर अस्पताल जा रहा था. अस्पताल से दो किमी पहले ही महिला का प्रसव हो गया. जन्मे नवजात को तुरंत उपचार नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो गई.
मामला इंटरनेट मीडिया में बहुप्रसारित होने के बाद प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा संदीप यादव ने सीधी के सीएमएचओ को नोटिस जारी किया है. वहीं, जेएईएस पर चार लाख 56 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है.
शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति ठीक है
एंबुलेंस सेवा शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों बेहतर कार्य कर रही है. यहां कालर के फोन करने के 25 मिनट में एंबुलेंस पहुंचनी चाहिए. प्रदेश में औसतन इतने समय में वाहन पहुंच रहे हैं. इसी तरह से प्रसूताओं को अस्पताल लाने और घर पहुंचाने के लिए चल रहे जननी एक्सप्रेस वाहन भी निर्धारित समय 18 मिनट में पहुंच रहे हैं.
सूत्रों की मानेंं तो इसकी वजह ग्रामीणों को निजी अस्पताल ले पहुंचाने में एंबुलेंस चालकों को मिलने वाले कमीशन को भी इसकी बड़ी वजह बताया जा रहा हैं. बताया जा रहा हैं कि शहरी मरीजों के जागरुक होने की वजह से वे एंबुलेंस चालकों के बहकावे में न आकर शासकीय अस्पताल जाने को तवज्जों देते हैं इसके विपरीत ग्रामीण मरीज एंबुलेंस चालकों के बहकावे में आकर निजी अस्पताल चले जाते हैं जिसके चलते कमीशन के चक्कर में न सिर्फ एंबुलेंस चालक तत्परता से ग्रामीण इलाकों में पहुंचते हैं बल्कि शहरी कॉल के बजाए ग्रामीण क्षेत्रों से आए कॉल पर त्वरित रिस्पोंस दे रहे हैं.