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Home राष्ट्रीय

109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में प्राइवेट फर्म के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज

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February 23, 2023
in राष्ट्रीय
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109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में प्राइवेट फर्म के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज
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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

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गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

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गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

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गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

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गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

केसी/एएनएम

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

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नई दिल्ली, 23 फरवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 109.17 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी करने के लिए एनसीआर स्थित एक निजी फर्म गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड और उसके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड को 2015 में यूबीआई द्वारा और 2014 में तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक द्वारा एनपीए के रूप में वगीर्कृत किया गया था। गार्डेनिया इंडिया लिमिटेड की स्थापना 18 जनवरी, 2007 को आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक भवनों, सिनेमा घरों के स्वामित्व, निर्माण, विकास, उपनिवेश बनाने, प्रचार करने और समूह से संबंधित सभी प्रकार की अचल संपत्तियों से निपटने के उद्देश्य से की गई थी।

गार्डेनिया ने यूबीआई और तत्कालीन कॉर्पोरेशन बैंक से सावधि ऋण लिया। कंपनी के निदेशकों द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी के अलावा, दिल्ली में स्थित दो अन्य निजी कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट गारंटी भी प्रदान की गई थी।

सीबीआई ने आरोप लगाया है- गार्डनिया इंडिया ने बैंक के फंड को डायवर्ट करके और बैंक की अनुमति के बिना संपत्ति का निपटान करके बैंक को धोखा दिया। बिक्री की आय परियोजना निर्दिष्ट चालू खातों के माध्यम से नहीं की गई थी। आरोपी ने उक्त ऋण लेने वाली कंपनी से संबंधित पक्षों और अनुषंगियों को भारी मात्रा में पैसा डायवर्ट किया था। कंपनी ने कथित तौर पर नियमों और शर्तों का उल्लंघन करते हुए गैर-गठबंधन बैंक में खाता खोला था और उन खातों में बड़ी रकम प्राप्त की थी जिन्हें बाद में डायवर्ट कर दिया गया था।

सीबीआई ने कहा कि गार्डेनिया इंडिया ने गिरवी रखे हुए फ्लैटों को बेचने से पहले ऋणदाता बैंकों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया था और वित्तीय आंकड़ों और सूचनाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था, जिसके कारण बैंक से महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई थी। अधिकारी ने कहा, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम सहित छह स्थानों पर आज तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज और लेख बरामद हुए।

–आईएएनएस

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