नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। दिल्ली के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने 14 दोषियों की समयपूर्व रिहाई का प्रस्ताव उपराज्यपाल के पास भेजा है।
उल्लेखनीय है कि वैधानिक प्रावधानों का अनुपालन करते हुए, दिल्ली के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने 23/02/2024 को सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) मीटिंग की अध्यक्षता की थी। इसमें कुल 92 मामलों पर विचार किया गया था। इनमें से 14 मामलों में दोषियों को समय से पहले जेल से रिहा करने की सिफारिश की गई थी।
इस मीटिंग में बोर्ड के अन्य सदस्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), महानिदेशक (जेल), प्रधान सचिव (कानून), प्रधान जिला न्यायाधीश, स्पेशल कमिश्नर (पुलिस) एवं निदेशक (समाज कल्याण) भी शामिल हुए थे।
एक बयान में मंगलवार को दिल्ली के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, “सजा समीक्षा बोर्ड ने न्याय और पुनर्वास के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक मामले को उसके इंडिविजुअल मेरिट के आधार पर गहनता से विचार किया है। वैसे कैदी जिनमें कारावास के दौरान वास्तविक सुधार और पश्चाताप दिखा है, उनकी समयपूर्व रिहाई के द्वारा हम उन्हें समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का एक और मौका देना चाहते हैं। इसके साथ ही इससे जेल पर बोझ को कम करने में भी मदद मिलेगी।”
वहीं, केंद्र सरकार ऐसे गरीब व्यक्तियों को आवश्यक वित्तीय सहायता का प्रावधान करती है, जो जेलों में हैं और जुर्माना या जमानत राशि वहन करने में असमर्थ हैं। यह गरीब कैदियों को, जिनमें से अधिकांश सामाजिक रूप से वंचित या कम शिक्षित और निम्न आयस्तर वर्ग से हैं, जेल से बाहर आने में सहायक है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की समस्याओं के समाधान के लिए समय-समय पर विभिन्न कदम उठाता रहा है। इनमें सीआरपीसी एक्ट में धारा 436ए को शामिल करना और एक नया अध्याय ‘प्ली बार्गेनिंग’ जोड़ना आदि शामिल हैं।
विभिन्न स्तरों पर विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से गरीब कैदियों को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है। उन गरीब व्यक्तियों को आवश्यक वित्तीय सहायता का प्रावधान है जो जेलों में हैं और जुर्माना या जमानत राशि वहन करने में असमर्थ हैं। यह गरीब कैदियों को, जिनमें से अधिकांश सामाजिक रूप से वंचित या कम शिक्षित और निम्न आयस्तर वर्ग से हैं, जेल से बाहर आने में सहायक है।
–आईएएनएस
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