नई दिल्ली, 14 अगस्त (आईएएनएस)। टेलीविजन (टीवी) आज हर घर में दिख जाते हैं। टीवी का आगमन पहले ब्लैक एंड व्हाइट के रूप में हुआ था। बाद में इसने अलग-अलग रंग अपनाए।
भारत में कलर टीवी का आगमन 25 अप्रैल 1982 में हुआ था। सबसे पहले इसकी शुरुआत मद्रास में हुई थी। हालांकि, टीवी का आगमन इससे पहले ही 15 सितंबर 1959 को हो चुका था, लेकिन कलर टीवी के आने के बाद दूरदर्शन के प्रति दर्शकों का रूझान बढ़ा।
समाज में कलर टीवी की भूमिका का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि उस समय यह लोगों की आर्थिक समृद्धि का प्रतीक तक बन चुका था। आज की तारीख में तो अनायास ही लोगों के घरों में कलर टीवी पाए जाते हैं, लेकिन पहले महज आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों के घरों में ही टीवी हुआ करता था।
आज के समय में दूरदर्शन, दो नेशनल और 11 रीजनल चैनल के साथ कुल 21 चैनलों का प्रसारण करने वाला देश का सबसे बड़ा नेटवर्क है। दूरदर्शन ने अपनी विश्वसनीयता के दम पर दुर्गम इलाकों तक भी पहुंच सुनिश्चित की है। दूरदर्शन देश के दूरदराज के इलाकों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए 1,416 ट्रांसमिशन केंद्र और कार्यक्रम निर्माण के लिए 66 स्टूडियो के साथ काम कर रहा है।
रंगीन टीवी के आगमन के बाद कई कार्यक्रमों का प्रसारण भी किया जाने लगा। भारत ने नवंबर 1982 में एशियाई खेलों की मेजबानी की और सरकार ने खेलों का रंगीन प्रसारण किया था। इसके बाद 1980 के दशक को ‘दूरदर्शन का युग’ कहा जाता है। फिर, धारावाहिकों का आगमन हुआ, जिसने घर-घर में दूरदर्शन की पहचान स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।
टीवी अब तक 96 साल का सफर पूरा कर चुका है। पहले बक्से में दिखने वाला टीवी अब स्मार्ट बन चुका है। जेएल बेयर्ड को टीवी का जनक कहा जा सकता है। बेयर्ड ने 1924 में पहला टेलीविजन बनाया था। वहीं, टीवी के रिमोट कंट्रोल का आविष्कार 1915 में शिकागो में जन्मे यूजीन पॉली ने किया था।
बात अगर कलर टीवी की करें, तो पहला कलर टीवी 1954 में वेस्टिंग हाउस ने बनाया था। इसकी कीमत करीब 6,200 रुपए थी, जिस कारण इसे आम लोग खरीदने में असमर्थ थे। इसके बाद, अमेरिकन इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी आरसीए ने कलर टीवी सीटी-100 पेश किया। इसकी कीमत करीब 5 हजार रुपए थी। कंपनी ने इसके 4 हजार यूनिट तैयार किए थे।
–आईएएनएस
एसएचके/एबीएम