सीधी देशबन्धु. जैविक तकनीक से गोंद निकालने पर पर्यावरण को नुकसान नही पहुॅचता है, इससे पेड़ भी नहीं सूखते हैं किन्तु ज्यादा से ज्यादा पैसो की चाह में व्यापारी मनमानी ढंग से अपने इस कारोबार में लिप्त रहते हैं. सीधी सिंगरौली जिले के वनों एवं आदिवासी क्षेत्रों में गोंद एक बड़ा कारोबार है. बताया गया कि सोमवार की दोपहर वन विभाग रेंज कार्यालय सीधी के द्वारा करीब 2 क्विटंल अवैध गोंद कर्थुआ रेंज सिंगरौली से गुना ले जाया जा रहा था, मुखबिर से सूचना के आधार पर नवीन बस स्टैंड सीधी से परिवहनकर्ता महिला आरोपियों को गिरफ्त में लेकर पूॅछ तॉछ की जा रही है.
जानकारों की माने तो पेड़ों से बूंद.बंदू निकलने वाला गोंद अपने अंदर स्वास्थ्य का खजाना छुपाए रहता है. दवाओं में तरह तरह से काम आने वाला यह गोंद जिस पेड़ से निकलता है उसके गुणों को अपने अंदर समाहित किए रहता है.
दूसरा पक्ष यह भी है कि जिस पेड़ से गोंद निकाला जाता है वह पांच से छह साल में सूख जाता है. ऐसे पेडों को नष्ट होने से बचाने के जैविक तकनीक विकसित की है जिससे गोंद निकाले जाने का पेडों पर दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता. जिले के वनों एवं आदिवासी क्षेत्रों में गोंद एक बड़ा कारोबार है. जैविक तकनीक से गोंद निकालने पर पर्यावरण को नुकसान नहीं होता है किन्तु ज्यादातर नियम विरूद्ध ढंग से व्यापार को गति दी जाती है. आमतौर में गोंद माफिया द्वारा कई तरह के रसायनों का उपयोग करके गोंद निकाला जा रहा है. इस कारण पेड़ कम समय में ही सूख जाते हैं.
ठेकेदार ने नही दिया वेतन, तो ले लिया गोंद:
वन मण्डल रेंज कार्यालय सीधी द्वारा सोमवार की दोपहर सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए नवीन वस स्टैंड सीधी से बस माध्यम से परिवहन करते हुए दो महिला आरोपियों के कब्जे करीब 2 क्विटंल अवैध गोंद जप्त की गयी. अपुष्ट सूत्रो की माने तो जो कि तथाकथित ठेकेदार हिमांशु द्विवेदी देवसर सिंगरौली एवम राहुल राजपूत पिता हनुमत सिंह राजपूत माधवपुर जिला गुना के स्वामित्व की बात कही जा रही है.
वहीं रेंज कार्यालय सीधी द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक कर्थुआ रेंज का प्रकरण होने के चलते, उक्त प्रकरण उन्ही के सुपुर्द कर दिया गया है. आरोपी महिला श्रमिक ने नाम पता न छापने की शर्त पर बताया कि जिले में श्रमिको के साथ आर्थिक शोषण का खेल जोरों पर चल रहा है. ठेकेदार श्रम के बाद महिनो तक भुगतान नही देते हैं. उक्त पीड़ा वेदना देखने सुनने वाला कोई नही है, जिसके बाद उक्त कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.