नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली के स्कूलों में छात्रों के नेतृत्व कौशल और उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘छात्र सलाहकार बोर्ड’ की शुरुआत की गई है। पायलट फेज में पहले इसे 20 स्कूलों में शुरू किया गया। पायलट फेज की सफलता के बाद इसे दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों में लागू कर दिया गया है।
यहां छात्रों द्वारा स्टूडेंट्स एडवाइजरी बोर्ड के सेक्रेटरी जनरल और सदस्यों का चुनाव भी किया गया है। सोमवार को शिक्षा मंत्री आतिशी ने स्कूलों के स्टूडेंट एडवाइजरी बोर्ड (एसएबी) के नवनिर्वाचित सेक्रेटरी जनरल से मुलाक़ात की और उनके साथ नेतृत्व कौशलों पर चर्चा की।
बातचीत के दौरान, स्टूडेंट एडवाइजरी बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी ने अपने अनुभव और स्कूल की बेहतरी के साथ-साथ एसएबी द्वारा की गई पहलों की जानकारी दी।
दिल्ली सरकार के स्कूलों में स्टूडेंट एडवाइजरी बोर्ड (एसएबी) को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि जहां स्कूलों में निर्णय लेने की प्रक्रिया में छात्रों और उनके विचारों को शामिल किया जाता है।
छात्र सलाहकार बोर्ड का उद्देश्य विभिन्न स्कूल एक्टिविटीज को डिज़ाइन, मैनेज और क्रियान्वित करने की दिशा में छात्रों की भूमिका बढ़ाना है। इस कार्यक्रम से छात्रों में जिम्मेदारी की भावना लाने, मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता, नेतृत्व और टीम प्रबंधन जैसे कौशल विकसित करने में मदद मिली है। छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ा है।
बोर्ड ने छात्रों को अपनी राय और विचार व्यक्त करने के लिए एक मंच भी प्रदान किया है। दिल्ली सरकार के स्कूलों में स्टूडेंट एडवाइजरी बोर्ड ऐसे काम करते हैं कि यह ग्रेड 7, 8, 9 और 11 के छात्र चयन प्रक्रिया में भाग लेते हैं, प्रत्येक सेक्शन से दो छात्रों को चुना जाता है।
एसएबी सदस्यों के चयन के लिए एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया जाता है, जिसमें उम्मीदवार छात्र प्रतिनिधियों के रूप में वोट मांगते हैं। एसएबी सदस्यों का चयन करने के लिए शिक्षकों की मदद से एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित किया जाता है।
एक बार एसएबी पूल बन जाने के बाद, 11वीं कक्षा से दो सेक्रेटरी जनरल को बोर्ड का नेतृत्व करने के लिए चुना जाता है। सरकारी स्कूल के एक प्रिंसिपल राकेश कुमार ने कहा कि शुरुआत में, हमें इस बात की चिंता थी कि क्या छात्र, स्टूडेंट एडवाइजरी बोर्ड के लिए हमारी अपेक्षाओं को पूरा कर पाएंगे। लेकिन, छात्र न केवल हमारी अपेक्षाओं पर खरे उतरे बल्कि उससे भी बेहतर प्रदर्शन किया है। और ओनरशिप की भावना दिखाई है।
सर्वोदय विद्यालय की शिक्षिका नमिता गुप्ता ने कहा, “एसएबी में छात्रों को शुरुआत में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। नवनिर्वाचित सदस्यों की आशंका थी कि क्या उनके साथी उनकी बातों की स्वीकार करेंगे। लेकिन विभिन्न ऐक्टिविटिज के प्रबंधन में उनकी सफलता ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया।
–आईएएनएस
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