नई दिल्ली, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। वर्ष 2014 से अब तक कुल 44 अंतरिक्ष यान मिशन, 42 प्रक्षेपण यान मिशन और 5 प्रौद्योगिकी प्रदर्शक सफलतापूर्वक पूरे किए जा चुके हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अंतरिक्ष विभाग के अनुसार, जनवरी 2014 में जीएसएलवी-डी5 प्रक्षेपण यान में स्वदेशी क्रायोजेनिक ऊपरी चरण के साथ पहली सफल उड़ान हासिल की गई और जीसैट-14 को जीटीओ में स्थापित किया गया।
इसके बाद सितंबर 2014 में भारत के मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान ने सफलतापूर्वक मंगल ग्रह के चारों ओर एक कक्षा में प्रवेश किया, जिससे भारत उन चुनिंदा देशों की लीग में शामिल हो गया, जिन्होंने लाल ग्रह पर अंतरिक्ष यान भेजा था।
6 महीने के डिजाइन किए गए जीवन के खिलाफ 7 साल के ऑपरेशन के बाद भी अंतरिक्ष यान अभी भी कार्यात्मक है और बहुत सारे दिलचस्प विज्ञान डेटा के साथ देश की सेवा कर रहा है।
दिसंबर 2014 में देश ने अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान – जीएसएलवी एमके3 की प्रायोगिक उड़ान देखी।
यान की पहली प्रायोगिक उपकक्षीय उड़ान एलवीएम3-एक्स/सीएआरई मिशन ने क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुन: प्रवेश प्रयोग (सीएआरई) लॉन्च किया।
चंद्रमा के लिए भारत का दूसरा मिशन, चंद्रयान-2, 22 जुलाई, 2019 को इस नए प्रक्षेपण यान की पहली परिचालन उड़ान जीएसएलवी एमके 3-एम1 पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
चंद्रयान-2 ऑर्बिटर अनुसंधान समुदाय के लिए मूल्यवान विज्ञान डेटा प्रदान कर रहा है। इसके बाद दिसंबर 2019 में पीएसएलवी-सी48/आरआईसैट-2बीआर1 के लॉन्च ने वर्कहॉर्स लॉन्च व्हीकल पीएसएलवी के 50वें लॉन्च को चिह्न्ति किया।
इसके अलावा, गगनयान कार्यक्रम के हिस्से के रूप में महत्वपूर्ण प्रणालियों के परीक्षण के लिए नया परीक्षण वाहन विकसित किया गया है। 18 नवंबर, 2022 को बबीना फील्ड फायर रेंज (बीएफएफआर), झांसी, उत्तर प्रदेश में क्रू मॉड्यूल डिक्लेरेशन सिस्टम का इंटीग्रेटेड मेन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट (आईएमएटी) सफलतापूर्वक किया गया।
हाल ही में, पीएसएलवी-सी54 को 26 नवंबर, 2022 को भारत-भूटान सैट (आईएनएस-2बी) सहित आठ नैनो-उपग्रहों के साथ सफलतापूर्वक एडर-06 उपग्रह लॉन्च किया गया था।
–आईएएनएस
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