नई दिल्ली, 2 फरवरी (आईएएनएस)। वर्ष 2017-18 से दिसंबर 2022 के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में 5,000 से अधिक एलपीजी सिलेंडर से संबंधित दुर्घटनाएं हुईं।
गुरुवार को लोकसभा में पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2017-18 में कुल 1151, वर्ष 2018-19 में 983, वर्ष 2019-20 में 825, 2020-21 में 1019 और वर्ष 2021-22 में 606 एलपीजी संबंधी दुर्घटनाएं हुईं। अप्रैल से दिसंबर 2022 के बीच ऐसे कुल 466 हादसे हुए हैं।
मंत्रालय ने कहा कि एलपीजी से जुड़ी सभी रिपोर्ट की गई दुर्घटनाओं की सार्वजनिक क्षेत्र की विपणन कंपनियों द्वारा जांच की जाती है और विस्तृत विश्लेषण के बाद दुर्घटनाओं के संभावित कारणों का पता लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा एलपीजी वितरकों को निर्देश दिया गया है कि वे एलपीजी कनेक्शन स्थापित करने के लिए सभी सुरक्षा मानदंडों को पूरा करने के बाद एलपीजी कनेक्शन जारी करें।
एलपीजी के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों में एलपीजी सिलेंडरों, वाल्वों और एलपीजी नियामकों की निर्माण इकाइयों के लिए अनुमोदन प्रदान करना और इन उपकरणों के डिजाइन, भंडारण परिसरों के लाइसेंस, सिलेंडर परीक्षण और भरने आदि को गैस सिलेंडर नियम 2016 के तहत विनियमित किया जाता है।
इसके अलावा, पीएमयूवाई लाभार्थियों सहित घरेलू एलपीजी उपभोक्ताओं द्वारा एलपीजी सिलेंडरों के सुरक्षित उपयोग को तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (आपूर्ति और वितरण का विनियमन) आदेश 2000 के तहत नियंत्रित किया जाता है और विस्फोटक, पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन के मुख्य नियंत्रक के मानदंडों के अनुसार सुरक्षा के लिए समय-समय पर एलपीजी सिलेंडरों का परीक्षण किया जाता है।
इसके अलावा एलपीजी कनेक्शन जारी करने के समय प्रत्येक पीएमयूवाई लाभार्थी को एलपीजी कनेक्शन से संबंधित क्या करें और क्या न करें के चित्रात्मक चित्रण के साथ लैमिनेटेड सुरक्षा कार्ड की आपूर्ति भी शामिल है। मंत्रालय ने बताया कि ओएमसी तेल उद्योगों के लिए सार्वजनिक देयता नीति के तहत व्यापक बीमा पॉलिसी लेती हैं, जिसमें ओएमसी के साथ पंजीकृत सभी एलपीजी उपभोक्ता शामिल हैं। ओएमसी द्वारा ली गई सार्वजनिक देयता बीमा पॉलिसी उन दुर्घटनाओं से होने वाले नुकसान को कवर करती है जहां एलपीजी आग का प्राथमिक कारण है।
जवाब में बताया गया कि वर्ष 2019-20 से अब तक 2,200 से अधिक दावों का निपटान किया जा चुका है, जिसमें 61 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।
–आईएएनएस
केसी/एएनएम