जयपुर, 26 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान में एक के बाद एक पेपर लीक अब एक खुला रहस्य है! ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जब राजस्थान में इंटरनेट निलंबन के दौरान भी पेपर लीक की सूचना मिली है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा इस साल जनवरी में दर्ज 21.1 प्रतिशत बेरोजगारी दर के साथ मरुस्थलीय राज्य बेरोजगारी सूचकांक में दूसरे स्थान पर है। उच्च बेरोजगारी दर के साथ राज्य में कुछ वर्षों में अपराध भी बढ़ा है।
राजस्थान में 2019 के बाद से हर साल औसतन तीन पेपर लीक हुए हैं। इससे लगभग 40 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं।
एक जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों ने पाया कि लीक हुए प्रश्नपत्र 5 से 15 लाख रुपये में बिके हैं।
हाल ही में गिरफ्तार पेपर लीक के मास्टरमाइंड भूपेंद्र सरन ने पेपर को खरीदने के लिए एक स्कूल शिक्षक को 40 लाख रुपये का भुगतान किया था, जिसे प्रति छात्र पांच लाख रुपये में बेचा था।
राज्य में 2011 से 2022 के बीच पेपर लीक के लगभग छब्बीस मामले दर्ज किए गए हैं। उनमें से 14 पिछले चार वर्षों में रिपोर्ट किए गए हैं।
राज्य भारत की पेपर लीक राजधानी बनता जा रहा है।
पेपर लीक के कारण रद्द की गई परीक्षाओं में ग्रेड-तृतीय लाइब्रेरियन के लिए भर्ती परीक्षा है, जिसे दिसंबर 2019 में लीक हुए प्रश्न पत्र के कारण रद्द कर दिया गया था। इसने लगभग 55 हजार उम्मीदवारों को प्रभावित किया, जिन्होंने 700 रिक्त पदों के लिए आवेदन किया था।
अगली पंक्ति में, सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र सितंबर 2021 में लीक हो गया और बीकानेर पुलिस ने मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया।
उसी महीने रीट-लेवल एक और दो परीक्षाओं के दौरान नकल को रोकने के लिए पूरे राजस्थान में इंटरनेट को निलंबित कर दिया गया था।
हालांकि, आरईईटी-स्तरीय द्वितीय परीक्षा में अनियमितताओं के आरोपों और विपक्ष के विरोध के चार महीने बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी। कांग्रेस सरकार उस समय शर्मसार हो गई, जब पुलिस जांच में पता चला कि आरोपियों में से एक जयपुर परीक्षा समन्वयक था और परीक्षा से कुछ दिन पहले शिक्षा विभाग के कार्यालय से प्रश्न पत्र लीक हो गया था। इससे पहले सरकार ने अनियमितता रोकने को इंटरनेट को निलंबित कर दिया गया था। लगभग 31 हजार से अधिक रिक्त पदों के लिए 25 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने रीट-लेवल एक और दो परीक्षाओं के लिए आवेदन किया था।
राज्य सरकार को अगली बार फिर उस समय शमिर्ंदगी का सामना करना पड़ा, जब मई 2022 की कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी रोकने के लिए सरकार ने परीक्षा केंद्रों पर मोबाइल फोन जैमर लगाए और बायोमेट्रिक पहचान की शुरुआत की। लेकिन पेपर लीक हो गया। इस परीक्षा को इसके पहले पेपर लीक होने के बाद दोबारा आयोजित कराया जा रहा था। इससे करीब 1.6 लाख अभ्यर्थी प्रभावित हुए थे।
जनवरी 2022 में, बीजेपी ने पेपर लीक में राजीव गांधी स्टडी सर्कल पर आरोप लगाया। इसके संरक्षक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं।
चूंकि कोचिंग सेंटरों से जुड़े लोगों की संलिप्तता की राज्य सरकार ने आलोचना की थी, बाद में जयपुर में एक बहुमंजिला इमारत को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर भेजा गया था, जहां एक निजी कोचिंग संस्थान सुरेश ढाका और भूपेंद्र सरन द्वारा चलाया जा रहा था, जो इस मामले के दो मुख्य आरोपी हैं।
इस बुलडोजर की कार्रवाई की आलोचना हुई, क्योंकि गहलोत ने भाजपा शासित राज्यों में इसी तरह की कार्रवाइयों की आलोचना की थी।
इसके बाद, गहलोत सरकार ने पिछले साल मार्च में कठोर राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के लिए उपाय) विधेयक, 2022 पारित किया। इस कानून के तहत सभी अपराध सं™ोय, गैर-जमानती और गैर-शमनीय होंगे। 10 साल तक की कैद और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने के प्रावधानों के अलावा, यह जांच अधिकारियों को राज्य से पूर्व अनुमति के साथ अभियुक्तों की संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार भी देता है।
राजस्थान बेरोजगार एककृत महासंघ ने कहा कि राज्य में करीब 25-30 लाख युवा सरकारी नौकरी के लिए प्रयास कर रहे हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष उपेन यादव कहते हैं, लगातार प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाओं से युवा बेहद आक्रोशित और परेशान हैं। हम इन अपराधों में शामिल लोगों के लिए आजीवन कारावास की मांग कर रहे हैं। अगर राज्य पुलिस जांच करने में विफल रहती है, तो सरकार को इन मामलों को सीबीआई को सौंप देना चाहिए।
अपने हालिया बजट में गहलोत ने प्रश्नपत्र लीक को रोकने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाने की घोषणा की।
ऐसे समय में जब राजस्थान में बेरोजगारी दर भारत में दूसरे स्थान पर है, सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि राज्य सरकार पेपर लीक के खतरे से कैसे लड़ती है, जिसने लाखों छात्रों का भविष्य खराब कर दिया है।
इसका कारण यह है कि जब रद्द की गई परीक्षाओं को पुनर्निर्धारित किया जाता है, तो उम्मीदवारों के लिए उनके लिए फिर से उपस्थित होना हमेशा संभव नहीं होता है और इसलिए वे ऐसे कई अवसरों को खो देते हैं।
इस बीच, राजस्थान में पेपर लीक की श्रृंखला के बीच, शनिवार को शिक्षकों के लिए राजस्थान पात्रता परीक्षा (आरईईटी) शुरू होने से पहले ही पेपर हल करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद राज्य सरकार को एक बार फिर शमिर्ंदगी का सामना करना पड़ा।
इनमें 19 लड़के और 10 लड़कियां शामिल हैं, इन सभी को हिरासत में ले लिया गया है। उनके पास से मिले प्रश्न पत्रों की जांच की जा रही है। ताजा लीक के बाद आनन-फानन में सात जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं।
जयपुर में भी डमी अभ्यर्थियों के पकड़े जाने की खबरें आ रही हैं।
पेपर लीक के कारण रद्द की गईं ये परीक्षाएं:
लाइब्रेरियन भर्ती 2018 – पेपर लीक होने के कारण दिसंबर 2019 में होने वाली भर्ती परीक्षा रद्द।
जेईएन सिविल डिग्री 2018-दिसंबर 2020 की परीक्षा पेपर लीक होने के कारण रद्द कर दी गई।
आरईईटी लेवल-2 2021 – सितंबर 2021 में हुई यह भर्ती परीक्षा पेपर लीक होने के करीब चार महीने बाद रद्द।
कांस्टेबल भर्ती – मार्च 2018 परीक्षा का पेपर लीक, परीक्षा रद्द।
कांस्टेबल भर्ती 2022 – मई 2022 में दूसरी पाली का पेपर हुआ लीक, पेपर रद्द और दोबारा परीक्षा।
हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती – मार्च 2022 में भर्ती परीक्षा का पेपर लीक, परीक्षा रद्द।
एसआई भर्ती 2022 – पेपर लीक मामले में 12 लोग गिरफ्तार
चिकित्सा अधिकारी 2021 – पहले दो बार की परीक्षा गड़बड़ी के चलते ऑनलाइन कराई गई। बाद में ऑफलाइन परीक्षा आयोजित की गई।
सीएचओ भर्ती 2022 – भर्ती के बाद पेपर लीक का मामला दर्ज।
वनरक्षक भर्ती 2020 – एक पाली का पेपर सोशल मीडिया पर वायरल, परीक्षा रद्द, दोबारा परीक्षा।
बिजली विभाग तकनीकी हेल्पर भर्ती 2022 – छह केंद्रों पर परीक्षा रद्द।
द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2022 – सामान्य ज्ञान का पेपर लीक, परीक्षा रद्द।
–आईएएनएस
सीबीटी