रांची, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। अन्नपूर्णा देवी भारत सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री हैं और झारखंड के कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की सांसद। पार्टी ने उन्हें एक बार फिर इस सीट पर प्रत्याशी बनाया है। कोडरमा में मतदान 20 मई को है। चुनाव प्रचार का शोर और सरगर्मी यहां तेज नहीं हुई है, लेकिन सियासी जोड़-तोड़, कानाफूसी, समीकरणों की माप-तौल और बतकही का दौर चुनाव की घोषणा के साथ ही शुरू हो गया है।
इसी माहौल के बीच अन्नपूर्णा देवी ने आईएएनएस से बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश :
प्रश्न : दूसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं आप। 2019 में मतदाताओं के लिए नया चेहरा थीं। मोदी लहर थी, तो आपने बड़े अंतर से चुनाव जीता भी। इस बार क्या फर्क महसूस कर रही हैं?
उत्तर : थोड़ा सा संशोधन चाहूंगी। 2019 में भी नया चेहरा कतई नहीं थी मैं। राज्य सरकार के मंत्री के तौर पर 20 वर्षों से ज्यादा, एक सक्रिय लीडर-कार्यकर्ता के तौर पर कोडरमा लोकसभा के मतदाताओं से भी मेरा घर-आंगन का रिश्ता रहा है। ये भी मत भूलिए कि मैं झारखंड की बेटी हूं और बहू भी, फिर नया चेहरा होने का प्रश्न ही नहीं।
अब मैं आपके सवाल के दूसरे हिस्से पर आती हूं। फर्क तो है। पहले उम्मीदें थीं, अब उन उम्मीदों के पूरा होने की गारंटी है। पिछले 10 साल में मोदी सरकार की पहचान डिलीवर करने वाली सरकार के रूप में हुई है। हां, अगर बात मोदी लहर की है तो यह तब भी थी, इस बार और प्रचंड है और आगे भी रहेगी।
प्रश्न : मोदी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा तो विभिन्न मंचों से हो रही है लेकिन लाजमी तौर पर सांसद के तौर पर आपकी उपलब्धियां क्या हैं?
उत्तर : काफी कुछ हुआ है कोडरमा संसदीय क्षेत्र में। रेल सुविधाओं के विकास और विस्तार की दृष्टि से सांसद के रूप में मेरा कार्य काल स्वर्ण युग माना जा रहा है और इसकी गवाही मेरे संसदीय क्षेत्र का एक-एक व्यक्ति देगा। हजारीबाग रोड (सरिया) में रेल ओवरब्रिज की मांग करीब पांच दशक पुरानी थी, लगभग पूरे संसदीय क्षेत्र के लोगों की तकलीफ थी यह। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों ओवरब्रिज का शिलान्यास हो चुका है, निर्माण कार्य जारी है। हजारीबाग रोड और कोडरमा, यही दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं मेरे संसदीय क्षेत्र में और दोनों को अमृत भारत स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां एयरपोर्ट की तरह विश्वस्तरीय सुविधाएं होंगी। करीब डेढ़ दर्जन वैसी ट्रेनों का ठहराव कोडरमा संसदीय क्षेत्र के विभिन्न स्टेशनों पर शुरू हुआ है, जिनकी मांग दशकों से की जा रही थी। गिरिडीह में रेलवे स्टेशन 150 साल पहले बना लेकिन गिरिडीह से आसनसोल और हटिया तक एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन मेरे कार्यकाल में पहली बार शुरू हुआ। झारखंड धाम एक प्रमुख तीर्थस्थल है। मेरे प्रयास से ही झारखंड धाम हॉल्ट बना और अब यहां ट्रेनों का ठहराव भी शुरू हो गया है। इसके अलावा संसदीय क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक आदि तकनीकी संस्थान स्थापित हुए। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से 600 करोड़ से ज्यादा की राशि से ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ।
प्रश्न : क्षेत्र और जनता की बुनियादी समस्याओं के समाधान के लिए ये परंपरागत तरीके काफी हैं क्या?
उत्तर : नहीं, बिलकुल नहीं। इसलिए मैंने नए रास्ते खोज निकाले। भारत सरकार के लोक उपक्रमों के जरिए सीएसआर फंड के तहत खर्च की जाने वाली राशि का सदुपयोग कर वैकल्पिक रास्ता निकाला। सीएसआर फंड से ही सरिया, राज धनवार आदि के कॉलेजों में नए भवन बनवाये, अलग–अलग पंचायतों में पांच बहुउद्देशीय सामुदायिक भवन बनवाये, करीब दो दर्जन स्कूलों में बाउंड्री, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, आरओ वाटर संयंत्र, ओपन जिम, सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन आदि की व्यवस्था की, सार्वजनिक महत्व के 200 से ज्यादा स्थानों पर सोलर हाई मास्ट लाइट्स लगवाए। सबसे अच्छी पहल– दो मेडिकल वैन का परिचालन शुरू करवाया, जिसमें डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ, जांच और दवा का इंतजाम है।
प्रश्न : कोडरमा की पहचान अभ्रक उद्योग के कारण देश और दुनिया में रही है। लेकिन अब यह उद्योग मृतप्राय है। क्षेत्र की जनता से कुछ और उम्मीद करें न करे, अभ्रक उद्योग के पुनर्जीवन की उम्मीद जरूर करती है। लेकिन कुछ हो नहीं पाया इस दिशा में?
उत्तर : देखिये, माइनर मिनरल की श्रेणी में आने के कारण अभ्रक उत्खनन राज्य सरकार का विषय है। लेकिन राज्य सरकार ने इस पर कभी गंभीरता दिखाई ही नहीं। एक दिलचस्प बात बताऊं? अभ्रक उद्योग के ठप होने के बाद इस इलाके की एक बड़ी आबादी, जिसमें बहुतायत गरीबों की है, माइका स्क्रैप पर निर्भर हो गयी थी। बंद पड़ी अभ्रक खदानों के आसपास से चुनकर लोग माइका स्क्रैप बेचते थे, गुजर बसर करते थे। राज्य की कांग्रेस–झामुमो-राजद गठबंधन की सरकार ने उसपर पहरा लगा दिया। माइका इंडस्ट्री के ठप होने के बाद पत्थर का कारोबार यहां के लोगों को रोजगार दे रहा था। राज्य सरकार ने उसे भी रोक दिया। मजे की बात यह है कि माइका स्क्रैप, पत्थर या बालू के कारोबार पर तो सामने से ताला लगा हुआ है, लेकिन इस सरकार ने पिछला दरवाजा अवैध कारोबारियों के लिए खोल रखा है। सरकार की सरपरस्ती में माइका स्क्रैप, पत्थर, बालू आदि का काला कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है।
प्रश्न : लेकिन कोडरमा संसदीय क्षेत्र में रोजगार– व्यवसाय को जीवन और गति देने के लिए कुछ तो करना होगा?
उत्तर : हां, बिलकुल करना होगा। और उस दिशा में कोशिश हुई भी है, परिणाम बेशक कुछ दिनों बाद दिखेंगे आपको। डीवीसी के कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन की क्षमता का विस्तार हो चुका है, जल्दी ही चालू होगा और तब रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। इसके अलावा, एक बड़े सीमेंट संयंत्र की संभावना है जिसमें बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा और डीवीसी के फ्लाई ऐश का निपटान भी होगा। प्लास्टिक एवं कुछ अन्य उद्योगों की संभावना भी तलाशी गयी है और इसके लिए एक इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना हमारी योजना का हिस्सा है।
प्रश्न : आप राज्य सरकार को विकास में बाधक बता रही हैं, लेकिन राज्य की सत्ता में शामिल पार्टियां तो आरोप लगाती हैं कि मोदी सरकार ने राज्य को उसका वाजिब हक़ नहीं दिया?
उत्तर : मुझे ऐसे आरोपों पर हैरत होती है। कुछ आंकड़े दे रही हूं, फिर आप खुद तय करें। यूपीए शासन के 10 वर्षों की तुलना में एनडीए सरकार के 10 वर्षों में कर हस्तांतरण में लगभग 300 परसेंट की वृद्धि हुई है, सहायता अनुदान में लगभग 230 परसेंट की वृद्धि हुई है। आपको याद होगा कि कोविड संकट के समय में राज्यों को पूंजीगत व्यय के लिए 50 वर्षों के ब्याज मुक्त ऋण की विशेष सहायता योजना शुरू की गई थी, जिसे बाद में भी जारी रखा गया। झारखंड को वित्त वर्ष 2020-21 से 27 फरवरी 2024 तक 50 वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 7936 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। जहां तक जीएसटी कंपनसेशन का प्रश्न है, 1 मार्च 2024 तक झारखंड की कोई जीएसटी मुआवजा राशि देय या बकाया नहीं है
–आईएएनएस
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