नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगे से जुड़े एक मामले में सोमवार को आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के एक आवेदन पर नोटिस जारी किया, जिसमें एक ही मामले में उनके खिलाफ दर्ज दो एफआईआर में से एक पर रोक लगाने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की एकल पीठ ने कहा कि अदालत लोक अभियोजक की सुनवाई से पहले इस मामले में कोई आदेश पारित नहीं करेगी।
अधिवक्ता तारा नरूला के माध्यम से दायर आवेदन में कहा गया है कि अगर इस पर सुनवाई नहीं हुई तो यह मामला निर्थक हो जाएगा।
न्यायमूर्ति शर्मा ने मामले को 3 मार्च को जारी रखने के लिए सूचीबद्ध किया।
अदालत ने इससे पहले 2020 के दंगों के सिलसिले में हुसैन के खिलाफ दर्ज पांच प्राथमिकियों में दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी थी।
हुसैन के वकील ने अदालत को सूचित किया था कि उनके मुवक्किल का मामला पिछले तीन साल से लंबित है और उनके अलावा सभी जमानत पर हैं।
21 दिसंबर को हुसैन के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने अदालत में तर्क दिया था कि जिस व्यक्ति पर गोली चलाने का आरोप लगाया गया था, उसके अलावा सभी सह-आरोपी उसी मामले में जमानत पर हैं। इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि हुसैन को किसी भी आग्नेयास्त्र का उपयोग करते हुए किसी ने नहीं देखा।
खुर्शीद ने कहा था : चार्जशीट में ही कहा गया है कि हुसैन लगातार पुलिस से संपर्क करने की कोशिश कर रहे थे जब दंगे हो रहे थे और मैं यह भी दिखाऊंगा।
13 दिसंबर को खुर्शीद ने तर्क दिया था कि दिल्ली दंगों के मामले में दयालपुर पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ दर्ज की गई सभी पांच एफआईआर की तरह ही एफआईआर उसी कॉपी-पेस्ट पैटर्न का पालन करती है। उन्होंने कहा कि गवाह हों या सबूत, बयान एक ही हैं।
खुर्शीद ने हुसैन के खिलाफ उठाए जा रहे दिल्ली दंगों में बड़ी साजिश के मुद्दे पर भी आपत्ति जताई थी।
उन्होंने तर्क दिया था : एक बड़ी साजिश या बचकानी साजिश क्या है? मैंने जो किया है, उसके लिए मुझे ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
उन्होंने तके दिया था कि सिर्फ इसलिए कि हुसैन उस क्षेत्र के निवासी हैं, उन पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया गया था।
–आईएएनएस
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