नई दिल्ली, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। पावर ट्रांसमिशन नेटवर्क को 2024-25 तक 4,25,500 सर्किट किलोमीटर (31 मई, 2020 तक मौजूद) से बढ़ाकर 4,54,200 सर्किट किलोमीटर (सीकेएम) करने की योजना है, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत लगभग 28,700 सीकेएम बिजली लाइनें जोड़ी जाएंगी।
यह वृद्धि 220केवी और उससे अधिक वोल्टेज स्तर पर इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) नेटवर्क के तहत प्रस्तावित की गई है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने गुरुवार को लोकसभा को बताया कि विस्तृत सर्वेक्षण के आधार पर कुछ ट्रांसमिशन लाइनों की लंबाई में बदलाव किया गया है। कुछ ट्रांसमिशन प्रणालियों के 2024-25 से आगे पूरा होने की संभावना है। साथ ही, कुछ नई ट्रांसमिशन परियोजनाओं पर भी विचार किया गया है। इसलिए, 28700 सीकेएम की अतिरिक्त ट्रांसमिशन लाइनों के मुकाबले 2024-25 तक जोड़ा जाने वाला ट्रांसमिशन नेटवर्क लगभग 27,000 सीकेएम है। इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत करीब 75,000 करोड़ रुपये है। चूंकि ये इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट हैं और किसी विशेष राज्य/केंद्रशासित प्रदेश तक सीमित नहीं हैं, इसलिए राज्य/केंद्रशासित प्रदेश-वार लागत निर्धारित करना संभव नहीं है।
मंत्री ने कहा कि भारत के पास एक मजबूत राष्ट्रीय ग्रिड ग्रिड है, जो संसाधन संपन्न क्षेत्रों से विश्वसनीयता और सुरक्षा के साथ देश के प्रमुख भार केंद्रों तक निर्बाध बिजली हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है। बिजली को अधिशेष क्षेत्रों/राज्यों से घाटे वाले क्षेत्रों/राज्यों में स्थानांतरित किया जा सकता है। बिजली उत्पादन और बिजली की मांग में वृद्धि के अनुरूप राष्ट्रीय ग्रिड की क्षमता का निरंतर विस्तार किया जा रहा है। 28 फरवरी, 2023 तक भारतीय ट्रांसमिशन नेटवर्क में 4,68,977 सीकेएम ट्रांसमिशन लाइनें (220केवी और वोल्टेज स्तर से ऊपर) और सबस्टेशनों में परिवर्तन क्षमता के 11,58,875 एमवीए (220केवी और वोल्टेज स्तर से ऊपर) शामिल हैं। राष्ट्रीय ग्रिड की अंतर-क्षेत्रीय क्षमता 1,12,250 मेगावाट है।
देश के पास पर्याप्त ट्रांसमिशन क्षमता है। राज्य लाइन ट्रांसमिशन नेटवर्क और वितरण नेटवर्क में बाधाओं या कुछ वितरण कंपनियों के साथ वित्तीय बाधाओं के कारण कभी-कभी बिजली कटौती की सूचना दी जाती है।
जवाब में कहा गया है कि पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत प्रस्तावित ट्रांसमिशन परियोजनाओं से देश में पावर सिस्टम नेटवर्क की बेहतर विश्वसनीयता के साथ उत्पादन परियोजनाओं से बिजली आपूर्ति और सुगम बन जाने की उम्मीद है।
–आईएएनएस
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