नई दिल्ली, 16 फरवरी (आईएएनएस)। इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को कहा कि 2030 तक इस्पात उत्पादन को मौजूदा 15 करोड़ टन से दोगुना करके 30 करोड़ टन प्रतिवर्ष करने के लिए बड़े पैमाने पर वृद्धि की जाएगी।
ग्लोबल जिंक समिट को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) जंग मुक्त स्टील के उत्पादन के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, इस्पात उत्पादों में ऑक्सीकरण को रोकने के लिए जंग-रोधी विशेषताओं और गुणवत्ता के साथ, जस्ता में नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसे क्षेत्रों के लिए जबरदस्त विपणन क्षमता है। गैल्वनाइज्ड स्टील हमारी लंबी तटरेखा के साथ-साथ मौजूद बुनियादी ढांचे को लंबा जीवन देगा।
मंत्री ने कहा कि भारत इस समय दुनिया में जस्ता का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है और भारत में उत्पादित जस्ता का 80 प्रतिशत घरेलू स्तर पर खपत होता है।
सिंधिया ने कहा कि भारत पहले ही दुनिया में दूसरे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक के रूप में उभरा है और इसकी प्रति व्यक्ति इस्पात खपत पिछले नौ वर्षो के दौरान 57 किलोग्राम से बढ़कर 78 किलोग्राम हो गई है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने विशेष इस्पात के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 26 कंपनियों द्वारा प्रस्तुत 54 आवेदनों को सम्मानित किया है।
जुलाई 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में विशेष इस्पात के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 6,322 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को मंजूरी दी थी। यह प्रतिवर्ष 2.6 करोड़ टन की उत्पादन क्षमता बढ़ाने और 55,000 लोगों के लिए रोजगार सृजन के साथ 30,000 करोड़ रुपये के निवेश में मदद करेगा।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के बड़े पूंजीगत खर्च की घोषणा की है, जिससे सभी क्षेत्रों में निवेश के जबरदस्त अवसर खुले हैं।
–आईएएनएस
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