पटना, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो गई है। भक्त नौ दिनों तक माता-रानी की कथाओं और उनके भजनों में खुद को लीन रखेंगे। देवी मां का एक ऐसा ही भक्त है, जो 28 सालों से अपने सीने पर कलश स्थापित करते आ रहे हैं।
खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
–आईएएनएस
डीकेएम/सीबीटी
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पटना, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो गई है। भक्त नौ दिनों तक माता-रानी की कथाओं और उनके भजनों में खुद को लीन रखेंगे। देवी मां का एक ऐसा ही भक्त है, जो 28 सालों से अपने सीने पर कलश स्थापित करते आ रहे हैं।
खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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पटना, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो गई है। भक्त नौ दिनों तक माता-रानी की कथाओं और उनके भजनों में खुद को लीन रखेंगे। देवी मां का एक ऐसा ही भक्त है, जो 28 सालों से अपने सीने पर कलश स्थापित करते आ रहे हैं।
खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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पटना, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो गई है। भक्त नौ दिनों तक माता-रानी की कथाओं और उनके भजनों में खुद को लीन रखेंगे। देवी मां का एक ऐसा ही भक्त है, जो 28 सालों से अपने सीने पर कलश स्थापित करते आ रहे हैं।
खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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पटना, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो गई है। भक्त नौ दिनों तक माता-रानी की कथाओं और उनके भजनों में खुद को लीन रखेंगे। देवी मां का एक ऐसा ही भक्त है, जो 28 सालों से अपने सीने पर कलश स्थापित करते आ रहे हैं।
खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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पटना, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो गई है। भक्त नौ दिनों तक माता-रानी की कथाओं और उनके भजनों में खुद को लीन रखेंगे। देवी मां का एक ऐसा ही भक्त है, जो 28 सालों से अपने सीने पर कलश स्थापित करते आ रहे हैं।
खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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पटना, 3 अक्टूबर (आईएएनएस)। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार से हो गई है। भक्त नौ दिनों तक माता-रानी की कथाओं और उनके भजनों में खुद को लीन रखेंगे। देवी मां का एक ऐसा ही भक्त है, जो 28 सालों से अपने सीने पर कलश स्थापित करते आ रहे हैं।
खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।
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खास बात यह है कि देवी मां के इस भक्त के दर्शन करने के लिए बिहार के कोने-कोने से लोग आते हैं। इनका नाम है नागेश्वर बाबा। 60 साल की उम्र पार करने के बाद भी इनमें गजब का उत्साह है।
नौलखा मंदिर से जुड़े विजय यादव ने बताया कि नौलखा दुर्गा मंदिर में नागेश्वर बाबा अपने सीने पर 3 से 12 अक्टूबर तक कलश रखेंगे। इस दौरान, वह अन्न, जल व अन्य क्रियाओं का त्याग रखेंगे।
उन्होंने नौलखा दुर्गा मंदिर के बारे में बताया कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, माता रानी उसकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यहा आकर कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। मां नौलखा दुर्गा सभी की मनोकामना की पूर्ति करती हैं।
दरभंगा जिले के नागेश्वर बाबा ने कहा, कलश को सीने पर स्थापित करने से उन्हें खुशी मिलती है। मंदिर के प्रांगण में 9 दिन तक एक बच्चे की तरह अपनी मां के पास रहूंगा और मेरा ध्यान मेरी मां रखेगी। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैंने अपने सीने पर हर साल की तरह इस साल भी कलश रखा है। उन्होंने इसके पीछे की वजह बताई कि वह चाहते हैं कि धर्म की जीत हो, एक दूसरे के साथ सभी मिलजुल कर रहें और देश का कल्याण हो। उन्होंने कहा, देवी मां के आशीर्वाद से ही कलश को सीने पर स्थापित कर पाते हैं।