हमारे युवा अब शिक्षित होने के साथ कौशल से युक्त हों, आत्मविश्वास से भरे हों, व्यवहारिक
हों…भारत अब इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। शिक्षा में सुधार को लेकर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भले
ही वर्ष 2020 में आई है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की यह मुहिम 2014 में ही शुरू हो गई थी।
यही वजह है कि पिछले 8 सालों में विश्वविद्यालयों से लेकर काॅलेज और स्कूली इंफ्रास्ट्रक्चर को
मजबूती देने में काफी काम हुआ है। 7 नए आईआईएम, 7 नए आईआईटी, मेडिकल कॉलेजों में करीब
दोगुनी सीटें, तीन गुना एम्स के साथ 8 वर्ष में 320 नए विश्वविद्यालय के साथ उच्च शिक्षा का
संपूर्ण ढांचा मजबूत करने का जो प्रयास केंद्र सरकार ने किया है, अब उसकी बानगी वैश्विक स्तर पर
भी मिल रही है। विश्वविद्यालयों की क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) विश्व रैंकिंग 2023 में भारत के 41
संस्थानों ने वैश्विक स्तर पर शीर्ष 1422 में जगह बनाई है। इनमें से 7 संस्थानों को पहली बार इस
सूची में जगह मिली है। 2014 में इस सूची में भारत के केवल 12 संस्थान शामिल थे। इस वर्ष
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस देश का शीर्ष संस्थान बना है। पिछले वर्ष के मुकाबले इसकी वैश्विक
रैंकिंग में 31 स्थान का सुधार हुआ है। इसके बाद आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली ने दुनिया
के शीर्ष 200 संस्थानों में जगह बनाई है।