नई दिल्ली, 10 मार्च, (आईएएनएस)। भारतीय वायु सेना के लिए छह डोर्नियर-228 विमानों की खरीद की जाएगी। भारतीय वायु सेना के लिए खरीदे जा रहे हैं इन विमानों की लागत लगभग 667 करोड़ रुपए है। रक्षा मंत्रालय ने 10 मार्च को 667 करोड़ रुपये की लागत वाले इस रक्षा सौदे को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार डोर्नियर-228 विमानों की खरीद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से की जाएगी।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि शुक्रवार 10 मार्च को भारतीय वायु सेना के लिए छह डोर्नियर-228 विमानों की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस विमान का उपयोग भारतीय वायु सेना द्वारा रूट ट्रांसपोर्ट और संचार संबंधित सैन्य कार्य के लिए किया जाता रहा है। इसके साथ ही इन विमानो का उपयोग भारतीय वायुसेना के परिवहन पायलटों के प्रशिक्षण के लिए भी किया गया है।
अब इन छह विमानों की वर्तमान खेप एक उन्नत ईंधन-कुशल इंजन के साथ पांच ब्लेड वाले समग्र प्रोपेलर के साथ खरीदी जाएगी। यह विमान उत्तर पूर्व के अर्ध-तैयार, लघु रनवे और भारत की द्वीप श्रृंखलाओं से छोटी दूरी के संचालन के लिए आदर्श रूप से अनुकूल है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इन छह विमानों के शामिल होने से दूर-दराज के इलाकों में भारतीय वायुसेना की परिचालन क्षमता में और इजाफा होगा।
इससे पहले इसी महीने 7 मार्च को रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए 70 बेसिक ट्रेनिंग विमानों को खरीदने का फैसला किया है। यह विमान एचटीटी-40 हैं, इन्हे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड(एचएएल) से 6,800 करोड़ रुपए में खरीदा जाना है। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने 3,100 करोड़ रुपए में 3 कैडेट प्रशिक्षण समुद्री जहाजों की खरीद के लिए लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड(एलएंडटी) के साथ अनुबंध किया है। मंगलवार 7 मार्च को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में यह निर्णय लिए गए थे।
एचटीटी-40 एक ट्रबो प्रॉप विमान है, जिसमें अच्छी कम गति के हैंडलिंग गुण हैं और यह विमान बेहतर प्रशिक्षण प्रभाव प्रदान करता है। इसमें पूरी तरह से एयरोबेटिक सीट ट्रबो ट्रेनर में वातानुकूलित कॉकपिट, आधुनिक एवियोनिक्स, हॉट री-फ्यूलिंग, रनिंग चेंज ओवर और जीरो-जीरो एविक्सन सीटें हैं।
यह विमान नए पायलटों के प्रशिक्षण के लिए भारतीय वायुसेना के मौलिक प्रशिक्षण विमानों की कमी पूरा करेगा। खरीद में सिमुलेटर सहित संबंधित उपकरण और प्रशिक्षण सहायता शामिल होगी। एक स्वदेशी समाधान होने के नाते यह विमान भारतीय सशस्त्र बलों की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्नयन के लिए कन्फीगर करने योग्य है। विमान की आपूर्ति 6 वर्ष की अवधि में की जाएगी।
–आईएएनएस
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