बीजिंग, 13 जनवरी (आईएएनएस)। 16 जनवरी को एशियाई बुनियादी संस्थापन निवेश बैंक (एआईआईबी) की स्थापना की 8वीं वर्षगांठ है। इधर के कुछ सालों में विभिन्न पक्षों की समान कोशिशों से एआईआईबी स्थिरता से आगे बढ़ रहा है, जिसमें मजबूत जीवंत शक्ति नजर आ रही है।
वर्तमान अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व वित्तीय व्यवस्था सुधारने खासकर विकासशील देशों के ढांचागत निर्माण में एआईआईबी अपना विशिष्ट योगदान दे रहा है। एआईआईबी चीन के प्रस्ताव से स्थापित बहुपक्षीय विकास बैंक है। उसका मुख्यालय पेइचिंग में स्थित है। 16 जनवरी 2016 को एआईआईबी औपचारिक रूप से शुरू हुआ।
उसके 57 संस्थापक सदस्य हैं। चीन उसका सबसे बड़ा शेयरधारक है और भारत दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक है। वर्तमान में उसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 109 हो गयी है, जो विश्व के छह महाद्वीपों में फैले हैं। एआईआईबी को एसएनपी, मूडीज और फिल्च तीन सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय रेटिंग संस्थाओं की सर्वोच्च क्रेडिटिंग दर्जा मिली है।
वह विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक समेत बीस से अधिक बहुपक्षीय संस्थाओं के साथ सहयोग करता है। उल्लेखनीय बात है कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा और आर्थिक व सामाजिक परिषद का स्थाई पर्यवेक्षक भी है।
ताजा आंकड़ों के अनुसार एआईआईबी ने 235 परियोजनाओं को मंजूरी दी है और उसके वित्त पोषण की कुल रकम 44 अरब 80 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। इन परियोजनाओं में सड़क, रेलवे, एयरपोर्ट, बंदरगाह जैसे परंपरागत बुनियादी संस्थापन के अलावा डिजिटल सूचना ढांचागत संस्थापन और चिकित्सा व स्वास्थ्य, शिक्षा समेत सामाजिक बुनियादी संस्थापन भी शामिल हैं।
दक्षिण एशिया एआईआईबी के निवेश का एक अहम क्षेत्र है। उदाहरण के लिए एआईआईबी ने बांग्लादेश की बिजली व्यवस्था के सुधार के लिए बांग्लादेश सरकार को 16 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डॉलर का ऋण प्रदान किया।
इस परियोजना के निर्माण से बांग्लादेश के ग्रामीण क्षेत्रों और ढाका के उत्तर में बिजली सप्लाई की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में बड़ा सुधार आया और 1 करोड़ 25 लाख लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिला।
अब तक भारत को एआईआईबी से सर्वाधिक ऋण प्राप्त हुआ है, जिसकी रकम 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है और एआईआईबी के बुनियादी संस्थापन परियोजनाओं के निवेश के 20 प्रतिशत से अधिक है।
एआईआईबी के वित्तीय समर्थन से भारत में कई बुनायादी ढांचे की परियोजनाएं लागू हुईं या चलायी जा रही हैं। मसलन एआईआईबी ने बंगलोर मैट्रो के निर्माण के लिए 33 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डॉलर ऋण को मंजूरी दी और आंध्र प्रदेश की सड़क परियोजना के लिए 45 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डॉलर ऋण को मंजूरी दी।
उल्लेखनीय बात है कि एआईआईबी जलवायु परिवर्तन के निपटारे संबंधी परियोजनाओं पर खास जोर दे रहा है। उसके कुल निवेश में जलवायु संबंधी परियोजनाओं की रकम आधे से अधिक हो चुकी है। योजनानुसार अगले सात सालों में मौसम संबंधी वित्त पोषण को दोगुने से अधिक बढ़ाया जाएगा और वर्ष 2030 तक मौसम संबंधी ऋण हर साल कम से कम 7 अरब अमेरिकी डॉलर होगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस