बीजिंग, 10 सितंबर (आईएएनएस)। सितंबर में आयोजित होने वाली 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा इस साल एक ऐतिहासिक घटना का गवाह बन सकती है। ताजा रिपोर्ट और समाचारों के अनुसार, कई देश इस महासभा के दौरान फिलिस्तीन राज्य को आधिकारिक मान्यता देने की अपनी इच्छा की घोषणा करने के लिए तैयार हैं। यह कदम फिलिस्तीन की स्वतंत्रता के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन में एक महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रतीक है और “दो-राज्य समाधान” की दिशा में एक स्पष्ट संदेश भेजता है।
हाल के हफ्तों में, आयरलैंड, स्पेन, नॉर्वे और स्लोवेनिया सहित कई यूरोपीय देशों ने औपचारिक रूप से फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने की अपनी योजना की घोषणा की है। इसके अलावा, कैरिबियन और अरब जगत के कई देश भी इस पहल का समर्थन कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान के रूप में दो-राज्य समाधान के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता मजबूत हो रही है। यह कदम फिलिस्तीनी लोगों की स्वतंत्रता और संप्रभुता के अधिकार के लिए एक मजबूत अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक और नैतिक समर्थन का प्रतीक है। फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, माल्टा और पुर्तगाल जैसे देशों ने इस दिशा में औपचारिक कदम उठाए हैं। ब्रिटेन और कनाडा ने भी स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वे कुछ शर्तों — जैसे युद्ध विराम, बंदियों की रिहाई और लोकतांत्रिक ढांचे की स्थापना — पूरी होने पर मान्यता देंगे।
फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों ने इन कदमों का स्वागत करते हुए कहा है कि यह “दो-राज्य समाधान”की दिशा में वास्तविक प्रगति ला सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष की महासभा मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। यदि अधिक देश इस रुख में शामिल होते हैं, तो फिलिस्तीन की मान्यता वैश्विक राजनीतिक समीकरणों को नया आकार दे सकती है।
80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन राज्य की मान्यता की ओर बढ़ता रुझान एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय विकास है। यह दो-राज्य समाधान के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता को दोहराता है और इस लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की आशा को बनाए रखता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की यह एकजुटता फिलिस्तीनी लोगों की आकांक्षाओं के प्रति समर्थन का एक सशक्त प्रमाण है और क्षेत्र में टिकाऊ शांति की दिशा में एक आवश्यक कदम है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (लेखक- देवेंद्र सिंह)
–आईएएनएस
एएस/