बेंगलुरु, 21 अगस्त (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने सोमवार को घोषणा की कि कर्नाटक के लिए नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए समिति बनाई जाएगी।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया कि पुरानी शिक्षा व्यवस्था को फिलहाल जारी रखते हुए नई शिक्षा नीति बनाने के लिए एक समिति गठित की जाए।
उन्होंने कहा, ”चूंकि यह राज्य का विषय है, इसलिए केंद्र सरकार कर्नाटक के लिए शिक्षा नीति नहीं बना सकती। केंद्र ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति राज्य सरकारों को विश्वास में लिए बिना तैयार की है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति थोपना एक साजिश है। भारत जैसे बहुसांस्कृतिक और बहुलतावादी समाज वाले देश में एक समान शिक्षा प्रणाली स्थापित नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि भाजपा शासित राज्य भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने में झिझक रहे हैं। केरल और तमिलनाडु राज्यों ने केंद्र सरकार को स्पष्ट कह दिया है कि वे एनईपी लागू नहीं करेंगे। सीएम को भरोसा था कि राज्य के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जा सकता, क्योंकि केंद्र पोषित योजनाएं सभी राज्यों पर लागू होती हैं।
उन्होंने चिंता व्यक्त की कि एनईपी गरीबों, अनुसूचित जाति, आदिवासियों, पिछड़ों और ग्रामीण लोगों को प्रभावित करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस शिक्षा नीति को लागू करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के पास आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं है। इससे अनावश्यक भ्रम पैदा हो गया है।
राज्य की कांग्रेस सरकार ने पहले ही घोषणा की थी कि वह पिछली भाजपा सरकार द्वारा लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को रद्द कर देगी। कर्नाटक एनईपी लागू करने वाला पहला राज्य था।
उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने एनईपी को ‘नागपुर शिक्षा नीति’ करार देते हुए घोषणा की थी कि राज्य में एनईपी को खत्म कर दिया जाएगा और एक नई शिक्षा नीति लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह में शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों की बैठक कर इस बारे में अवगत कराया जाएगा और भावी पीढ़ियों की भलाई के लिए नई नीति बनाई जाएगी।
शिवकुमार ने सवाल किया, “हम अपने घोषणापत्र के अनुसार एनईपी को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दो कैबिनेट मंत्री कमेटी बनाने के लिए प्रस्ताव देंगे। जल्द ही नई नीति बनाई जाएगी। हम सभी क्षेत्रों में आगे हैं, दोषपूर्ण एनईपी यहां लागू नहीं होगी। गुजरात, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने एनईपी लागू नहीं किया है, तब कर्नाटक के लिए इसकी जरूरत क्यों है?” .
डीम्ड विश्वविद्यालयों द्वारा एनईपी को जारी रखने के निर्णय पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस संबंध में कदम विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा, “शिक्षा राज्य का विषय है, हम इसमें हस्तक्षेप नहीं चाहते।”
–आईएएनएस
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