नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)। दिल्ली की मंत्री आतिशी ने गुरुवार को दावा किया कि मुख्य सचिव ने जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम 2023 पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) और दिल्ली सरकार के विभागों के बीच बेहतर समन्वय के लिए जारी एक आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया है।
आतिशी ने कहा, ”मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा लिखे गए 10 पन्नों के पत्र में दर्शाया गया है कि अब एक गैर-निर्वाचित नौकरशाही और एलजी तय करेंगे कि दिल्ली कैसे चलेगी और यहां लोगों के काम कैसे होंगे। मुख्य सचिव का यह पत्र लोकतंत्र के लिए बड़ा झटका है। नौकरशाही का यह रवैया और जीएनसीटीडी (संशोधन) विधेयक के माध्यम से उन्हें दी गई शक्ति दिल्ली के लोगों के कार्यों में और देरी करेगी।”
जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम को संविधान के खिलाफ बताते हुए आतिशी ने कहा कि यह कहता है कि दिल्ली में निर्णय लेने की शक्ति दिल्ली के लोगों या चुनी हुई सरकार के बजाय गैर-निर्वाचित नौकरशाही और उपराज्यपाल के पास रहेगी।
उन्होंने कहा कि अधिनियम की धारा 45 (जे) 5 कहती है कि नौकरशाही को मंत्री के फैसले को स्वीकार नहीं करने का अधिकार है। इसमें कहा गया है कि मुख्य सचिव चाहें तो मंत्रियों के आदेशों को मानने और उनका पालन करने से इनकार कर सकते हैं, जो लोकतंत्र के लिए एक बड़ा झटका है।
उन्होंने कहा, “इस अधिनियम का परिणाम हमें विधेयक की अधिसूचना के ठीक 10 दिन बाद 21 अगस्त को ही दिख गया था। मुख्य सचिव नरेश कुमार ने 10 पन्नों के पत्र में मंत्री द्वारा जारी एक आदेश को मानने से इनकार कर दिया। सेवा और सतर्कता मंत्री के रूप में मैंने एनसीसीएसए और दिल्ली सरकार के विभागों के बेहतर समन्वय के लिए 16 अगस्त को मुख्य सचिव, सचिव (सेवा), और सचिव (सतर्कता) को एक आदेश पारित किया। लेकिन मुझे संबोधित 10 पन्नों के पत्र में मुख्य सचिव ने जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम का उल्लेख किया और कहा कि निर्वाचित सरकार के पास निर्णय लेने की शक्ति नहीं है।”
आतिशी ने कहा, “मुख्य सचिव द्वारा सेवा मंत्री के आदेशों को अस्वीकार करना सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पैराग्राफ 107 में जो कहा है, उसकी शुरुआत है। शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और परिवहन क्षेत्रों में सरकार की कई परियोजनाएं हैं, जिनसे दिल्ली की जनता को फायदा हुआ है।“
उन्होंने कहा, “लेकिन जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम 2023 में उल्लेख को देखते हुए कल सभी सचिव लंबे पत्र लिखकर मंत्रियों के आदेशों को मानने से इनकार कर सकते हैं। यदि नौकरशाह मंत्रियों या चुनी हुई सरकार के आदेशों को मानने से इनकार करते हैं, तो इस देश में लोकतंत्र के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे।”
–आईएएनएस
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