भोपाल, 27 अगस्त (आईएएनएस)। डैम साइट अतिक्रमण पर मध्य प्रदेश सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाने वाले न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल का राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की सेंट्रल बेंच से दिल्ली की मुख्य बेंच में ट्रांसफर कर दिया गया है।
शनिवार को जारी आदेश के मुताबिक, न्यायमूर्ति एसके सिंह अब मुख्य बेंच की कमान संभालेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अध्यक्षता वाली मध्य प्रदेश एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने भोपाल में कलियासोत और केरवा बांध स्थल के आसपास निषिद्ध क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाने में राज्य सरकार की निष्क्रियता पर कड़ी नाराजगी व्यक्त थी।
साथ ही ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके एक हफ्ते बाद न्यायमूर्ति अग्रवाल का दिल्ली ट्रांसफर किया गया है।
एनजीटी ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की पूरी व्यवस्था अक्षम लगती है क्योंकि मामले का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुनवाई के दौरान ठीक से बहस करने के बजाय तारीख बढ़ाने की मांग करते हैं।
गौरतलब है कि एनजीटी ने 2014 में नदी तल की 33.3 मीटर की परिधि के भीतर अवैध निर्माण को हटाने का आदेश जारी किया था। एनजीटी ने आदेश के अनुपालन के लिए एक माह का समय दिया था।
ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से यह भी पूछा था कि क्या उन्होंने आदेश पढ़ा है। ट्रिब्यूनल ने आगे कहा कि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने में संबंधित विभागों के बीच समन्वय की कमी है।
एनजीटी की टिप्पणी से चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में राजनीतिक विवाद छिड़ गया है और कांग्रेस नेता गोविंद सिंह (एलओपी) और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के विस्तार पर सवाल उठाया है।
भोपाल में कलियासोत और केरवा बांध के किनारे कई मल्टी स्टोरीज का निर्माण किया गया है, जिस पर याचिका में सवाल उठाया गया है। कलियासोत नदी तल से 33.3 मीटर के भीतर अवैध निर्माणों के सीमांकन के एनजीटी के आदेश से कोलार सैटेलाइट टाउनशिप में लगभग 40,000-50,000 लोग और लगभग 30 आवासीय कॉलोनियां प्रभावित होंगी।
इस महीने 18 अगस्त के एनजीटी के आदेश के बाद, जल संसाधन विभाग, भोपाल नगर निगम और जिला प्रशासन कलियासोत नदी तल की माप करने और नदी तल और जलग्रहण क्षेत्रों में पूर्ण टैंक स्तर (एफटीएल) स्तंभों का सत्यापन करने के लिए कार्रवाई में जुट गए थे।
–आईएएनएस
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