कोलकाता, 6 सितंबर (आईएएनएस)। रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की संभावनाओं का मूल्यांकन करने के लिए जादवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) का दौरा करने वाली भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की एक टीम ने सुझाव दिया है कि रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) एक आदर्श माध्यम हो सकता है।
इसकी पुष्टि करते हुए, जेयू के अंतरिम कुलपति बुद्धदेव साव ने कहा कि यह इसरो की टीम द्वारा मंगलवार को प्रारंभिक सर्वेक्षण के दौरान दिया गया सुझाव है। इसरो की टीम ने विशाल परिसर के विभिन्न कोनों की जांच की।
उन्होंने कहा, “टीम जल्द ही परिसर का एक और दौरा कर सकती है, जिसके बाद वे एक विस्तृत और अंतिम सुझाव देंगे कि परिसर में रैगिंग को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है।”
इस मामले में इसरो को शामिल करने की पहल राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने की थी। विश्वविद्यालय के एक छात्रावास में 10 अगस्त को रैगिंग के कारण एक नए छात्र की मौत हो गई थी। राज्यपाल ने व्यक्तिगत रूप से इसरो के शीर्ष अधिकारियों के साथ टेलीफोन पर चर्चा की और इसरो की टीम का जेयू दौरा सुनिश्चित किया।
इस बीच, जेयू के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि दौरे पर आई इसरो टीम के सदस्यों के साथ प्रारंभिक चर्चा के अनुसार, वीडियो एनालिटिक्स और लक्ष्य निर्धारण जैसी तकनीकों का उपयोग करके परिसर के भीतर रैगिंग की घटनाओं को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
जेयू के एक संकाय सदस्य ने कहा, “वे इस बात पर सहमत हुए कि प्रौद्योगिकी का उपयोग इस तरह से किया जाना चाहिए कि यह इतने बड़े प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के परिसर के माहौल के अनुकूल हो।”
नए छात्र की मौत की जांच कर रही जेयू की आंतरिक जांच समिति ने मंगलवार को ही अपनी आंतरिक जांच रिपोर्ट सौंपी थी, जहां उसने विश्वविद्यालय के चार वर्तमान छात्रों को तत्काल निष्कासित करने का सुझाव दिया है। इसने यह भी सुझाव दिया कि जेयू अधिकारियों को विश्वविद्यालय के उन छह पूर्व छात्रों के खिलाफ भी पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए जो दुर्घटना के समय छात्रावास में मौजूद थे।
–आईएएनएस
एकेजे