बीजिंग, 9 सितंबर (आईएएनएस)। विश्व धरोहर यूनेस्को और विश्व धरोहर समिति द्वारा मान्यता प्राप्त मानव जाति की दुर्लभ और अपूरणीय संपत्ति को संदर्भित करता है। यह सभी मानव जाति द्वारा मान्यता प्राप्त उत्कृष्ट महत्व और सार्वभौमिक मूल्य का सांस्कृतिक अवशेष और प्राकृतिक परिदृश्य है।
45वीं विश्व धरोहर महासभा 10 से 25 सितंबर तक सऊदी अरब की राजधानी रियाद में
आयोजित की जाएगी। इस वार्षिक बैठक में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में नए खंडहर के अनुरोध पर विचार किया जाएगा, जिसमें चीन की “फूअर शहर में चिंगमाई पर्वत के प्राचीन चाय वनों का सांस्कृतिक परिदृश्य” परियोजना भी शामिल है।
बता दें विश्व विरासतों में तीन श्रेणियां शामिल हैं, यानी कि विश्व सांस्कृतिक विरासत, विश्व प्राकृतिक विरासत, और विश्व सांस्कृतिक व प्राकृतिक दोहरी विरासत।
व्यापक अर्थ में, विश्व विरासत को स्वरूप और प्रकृति के आधार पर भौतिक विरासत और गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासत में विभाजित किया जाता है।
12 दिसंबर 1985 को, चीन आधिकारिक तौर पर “विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत संरक्षण संधि” में शामिल हुआ। चीन ने विश्व विरासत परियोजनाओं के लिए 1986 में यूनेस्को में आवेदन करना शुरू किया।
वर्ष 2021 में, “छ्वानचओ:सोंग और युवान राजवंशों में चीन का विश्व समुद्री व्यापार केंद्र” चीन की 56वीं विश्व धरोहर बन गयी। आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2021 तक, दुनिया भर में कुल मिलाकर 1122 विश्व धरोहर हैं, जो 167 देशों में वितरित हैं।
इन विश्व धरोहरों में 39 विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोहरी विरासतें, 213 विश्व प्राकृतिक विरासतें, और 869 विश्व सांस्कृतिक विरासतें हैं। चीन में कुल 56 विश्व धरोहरें हैं, जो दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
इन धरोहरों में 33 विश्व सांस्कृतिक विरासतें, 5 विश्व सांस्कृतिक परिदृश्य विरासतें, 4 विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोहरी विरासतें और 14 विश्व प्राकृतिक विरासतें हैं।
विश्व धरोहर वाले प्रमुख देश के रूप में, चीन हमेशा नई विकास अवधारणाओं का अभ्यास करते हुए धरोहर संरक्षण की क्षमता और स्तर में लगातार सुधार करता रहा है।
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा सीपीसी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि सांस्कृतिक अवशेषों और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा को मजबूत करना, शहरी और ग्रामीण विकास में ऐतिहासिक संस्कृति की सुरक्षा और विरासत को मजबूत करना, और राष्ट्रीय सांस्कृतिक पार्कों का अच्छी तरह निर्माण और अच्छा उपयोग करना आवश्यक है।
चीन की विश्व धरोहरें, न केवल समृद्ध और रंगीन चीनी सभ्यता की व्याख्या करती हैं, बल्कि शानदार चीनी संस्कृति को भी विरासत में लेती है। ये सांस्कृतिक खजाने, न केवल चीनी लोगों के सांस्कृतिक आत्मविश्वास को मजबूत करते हैं, चीनी राष्ट्र की भावना को मूर्त रूप देते हैं, बल्कि विश्व सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान और आपसी सीख को भी गहरा करते हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस