लखनऊ, 11 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के विंध्याचल क्षेत्र में विकास कार्यों को नई गति देने का मार्ग सरकार ने प्रशस्त कर दिया है। विंध्य डिविजन में अब तक 50 लाख रुपए से ज्यादा की लागत वाले 73 प्रोजेक्ट्स को निर्धारित समयावधि में पूरा कर लिया गया है।
वहीं, 177 प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं, जिन पर काम अभी जारी है और इस फेहरिस्त में विंध्य कॉरीडोर व सोनभद्र में मेडिकल कॉलेज जैसे सरकारी मेगा प्रोजेक्ट्स भी शामिल हैं।
योगी सरकार ने इन सभी प्रोजेक्ट्स की रेगुलर मॉनिटरिंग, परियोजनाओं से संबंधित समस्याओं के निराकरण और उच्च गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्यों को सुनिश्चित किए जाने की दिशा में विस्तृत कार्ययोजना के अनुरूप कार्य करना शुरू कर दिया है।
सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार सोनभद्र में चाहें थाना पिपरी बैरक हॉस्टल हो, आईटीआई दूधी हो, नगवन बांध में रिपेयर वर्क हो, या फिर गऊ संरक्षण केंद्र, चोपन में बीज भंडारण केंद्र व अटल आवासीय विद्यालय के इमारती कार्य को पूर्ण करना हो, इन सभी परियोजनाओं को या तो पूर्ण कर लिया गया है या फिर यह पूर्ण होने के अंतिम चरण में हैं।
विंध्य क्षेत्र में जारी इंफ्रास्ट्रक्चरल प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग खुद मुख्य सचिव द्वारा भी की जा रही है और उनके समक्ष जो रिपोर्ट पेश की गई है उसमें यह विवरण दिए गए हैं।
विंध्य कॉरीडोर व सोनभद्र में मेडिकल कॉलेज जैसे सरकारी मेगा प्रोजेक्ट्स को लेकर योगी सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश हैं कि परियोजनाओं की पूर्ति में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होने पर उसके निराकरण की प्रक्रिया अपनाई जाए और किसी प्रकार की लेटलतीफी व ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं है।
यही कारण है कि मिर्जापुर में निर्माणाधीन आयुष अस्पताल में निर्माण कार्य की प्रगति कार्ययोजना के अनुरूप न होने के कारण कॉन्ट्रैक्टर के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी प्रस्तावित है।
रिपोर्ट के अनुसार, 50 लाख रुपए से ज्यादा की लागत वाले प्रोजेक्ट्स में से मिर्जापुर में 31 प्रोजेक्ट्स पूर्ण हो गए हैं जबकि 75 पर कार्य जारी है। वहीं, भदोही में 18 प्रोजेक्ट्स को पूर्ण कर लिया गया है जबकि 48 पर कार्य जारी हैं।
इसी प्रकार, सोनभद्र क्षेत्र में 24 परियोजनाओं को पूर्ण कर लिया गया है जबकि 54 पर कार्य जारी है। जिन प्रोजेक्ट्स पर अभी कार्य जारी है उन्हें पूर्ण गुणवत्ता के साथ जल्द से जल्द पूरा करने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई है, जिसमें मुख्य रूप से त्रिसूत्रीय एजेंडे का निर्धारण किया गया है।
इनमें स्टेकहोल्डर्स व इश्यूज के निर्धारण, निर्माण कार्यों में आ रही चुनौतियों के चिन्हन और निराकरण को प्रमुखता दी गई है। प्रोजेक्ट्स के कंप्लीशन के लिए भूमि अधिग्रण, वन विभाग से क्लियरेंस, एसआईटी इन्क्वायरी, यूटिलिटी शिफ्टिंग, बजट आवंटन, उचित जनशक्ति उपलब्धता, गुणवत्तापूर्ण निर्माण, टेंडरिंग प्रक्रिया में विलंब जैसे व्यवधानों के निराकरण के लिए रिव्यू मीटिंग्स की एक सतत् प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
इसमें कमिश्नर, डीएम, सीडीओ, जिला स्तर के अन्य अधिकारी तथा फंडिंग एजेंसीज प्रतिभाग करेंगी और साइट विजिट के साथ ही किसी भी परियोजना से संबंधित कोई भी बाधा उत्पन्न होने पर सभी संबंधित अधिकारी अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के संदर्भ में मामले को जल्द से जल्द दर्ज कराएंगे।
इस प्रकार क्षेत्र में लंबित परियोजनाओं के अंतर्गत आ रही कठिनाइयों के निराकरण का एक इकोसिस्टम विकसित किया जा रहा है, जिसकी समय-समय पर लखनऊ से भी मॉनिटरिंग होती रहेगी।
–आईएएनएस
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