नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना के गडवाल से बीआरएस विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी के चुनाव को रद्द करने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। आरोप है कि उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र के साथ अपनी संपत्ति के बारे में गलत हलफनामा दाखिल किया था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी दिया।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, याचिका पर आगे की सुनवाई 11 नवंबर को होने की संभावना है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना के गडवाल से बीआरएस विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी के चुनाव को रद्द करने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। आरोप है कि उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र के साथ अपनी संपत्ति के बारे में गलत हलफनामा दाखिल किया था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी दिया।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, याचिका पर आगे की सुनवाई 11 नवंबर को होने की संभावना है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
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नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना के गडवाल से बीआरएस विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी के चुनाव को रद्द करने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। आरोप है कि उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र के साथ अपनी संपत्ति के बारे में गलत हलफनामा दाखिल किया था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी दिया।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, याचिका पर आगे की सुनवाई 11 नवंबर को होने की संभावना है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
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नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना के गडवाल से बीआरएस विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी के चुनाव को रद्द करने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। आरोप है कि उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र के साथ अपनी संपत्ति के बारे में गलत हलफनामा दाखिल किया था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी दिया।
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वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
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वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी दिया।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, याचिका पर आगे की सुनवाई 11 नवंबर को होने की संभावना है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
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तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
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वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी दिया।
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वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी दिया।
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वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
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शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, याचिका पर आगे की सुनवाई 11 नवंबर को होने की संभावना है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।
–आईएएनएस
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नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तेलंगाना के गडवाल से बीआरएस विधायक बंदला कृष्ण मोहन रेड्डी के चुनाव को रद्द करने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। आरोप है कि उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र के साथ अपनी संपत्ति के बारे में गलत हलफनामा दाखिल किया था।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने नोटिस जारी किया और रेड्डी की निकटतम प्रतिद्वंद्वी डी.के. अरुणा से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।
अरुणा, जिन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, अब भाजपा के साथ हैं और इसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ता को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय भी दिया।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, याचिका पर आगे की सुनवाई 11 नवंबर को होने की संभावना है।
वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम और अधिवक्ता मोहित राव ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को अपने आदेश में दिसंबर 2018 में हुए कृष्ण मोहन के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए अरुणा को निर्वाचित उम्मीदवार के रूप में मान्यता दी। इसने कृष्ण मोहन पर 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और उन्हें अरुणा को कानूनी खर्च के तौर पर 50,000 रुपये देने का निर्देश दिया था।
अरुणा ने 2019 में गडवाल विधानसभा क्षेत्र से बीआरएस विधायक के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी।