वाशिंगटन, 11 सितम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली में पिछले सप्ताहांत हुई जी20 बैठक के बाद जारी संयुक्त घोषणा को अधिकांश रिपब्लिकन सांसदों द्वारा यूक्रेन के नेता वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के चेहरे पर एक “तमाचा” बताये जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसका बचाव किया है।
बाइडेन ने जी20 की दिल्ली घोषणा का दृढ़ता से बचाव किया। उन्होंने शिखर सम्मेलन के बाद वियतनाम में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध अधिकांश जी20 देशों के लिए “विखंडक” मुद्दा नहीं है – यह रूस और चीन के साथ एक समस्या है, जिनके वरिष्ठ प्रतिनिधि शिखर सम्मेलन में मौजूद थे।
चीन का प्रतिनिधित्व उसके प्रधानमंत्री ली कियांग ने और रूस का प्रतिनिधित्व उसके प्रधानमंत्री सर्गेई लावरोव ने किया।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने संगठन की स्थिति पर सीएनएन के एक कार्यक्रम में कहा कि यह “बहुत महत्वपूर्ण है कि जी20 एक होकर बात करे”।
ब्लिंकन ने कहा, “मुझे लगता है, अगर आप उनमें से होते जिन पर कई लोगों ने टिप्पणी की है, अगर आप रूस की जगह होते, तो यह बिल्कुल स्पष्ट था कि बाकी दुनिया कहां खड़ी है।”
यूएस टूडे की रिपोर्ट के अनुसार, रिपब्लिकन आलोचकों ने बाइडेन को भारत में सप्ताहांत शिखर सम्मेलन में यूक्रेन में रूस के युद्ध की निंदा के लिए विश्व नेताओं को एकजुट करने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार ठहराया। कीव ने भी इसके लिए फटकार लगाई है जिससे उन्हें रक्षात्मक होना पड़ा। उन्होंने भारत और वियतनाम की विदेश यात्रा समाप्त करने के बाद अमेरिका के अलास्का के लिए उड़ान भरी जहां आज वह 9/11 डब्ल्यूटीसी हमले के समारोह को में शामिल होंगे।
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने कहा कि शिखर सम्मेलन में अपने नेताओं के अनुपस्थित रहने के बावजूद रूस और चीन ने बड़ी जीत हासिल की है और उन्होंने जी20 को कड़ी भाषा अपनाने के लिए प्रेरित न करने में विफलता के लिए बाइडेन को जिम्मेदार ठहराया।
हेली ने कहा, “चीन खुश हो रहा है, क्योंकि वे ताइवान को देख रहे हैं। जो हो रहा है वह शर्म की बात है।” ज़ेलेंस्की की अनुपस्थिति में बाइडेन ने यूक्रेन का मामला उठाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
वियतनाम में, बाइडेन ने चीन के साथ अमेरिकी संबंधों के लिए अपने दृष्टिकोण को रेखांकित करने में पर समय दिया। उन्होंने कहा कि वह चीन को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते, जिसे उसका आर्थिक प्रतिस्पर्धी माना जाता है।
इसकी बजाय, वह चाहते हैं कि चीन स्थापित अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार चले।
–आईएएनएस
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