बेंगलुरु, 13 सितंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की आलोचना को लेकर कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) बी.के. हरिप्रसाद को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इस पर उन्होंने कहा कि वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के नोटिस का जवाब आधिकारिक प्रति मिलने के बाद देंगे।
पत्रकारों से बात करते हुए हरिप्रसाद ने कहा, “एआईसीसी द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने के संबंध में मुझे आज प्रति मिल सकती है। नोटिस मेरे और पार्टी के बीच है। जब मेरे हाथ में नोटिस आएगा तो मैं जवाब दूंगा।”
उन्होंने कहा, “मुझे पता चला कि उन्होंने जवाब देने के लिए 10 दिन का समय दिया है। मैं एआईसीसी को समझाऊंगा।”
उन्होंने कहा था कि परमेश्वर जैसे दलित और ओबीसी नेताओं को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने नजरअंदाज कर दिया है।
हरिप्रसाद एक के बाद एक सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित कर रहे थे और सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ आक्रामक हमले कर रहे थे।
वरिष्ठ नेता कैबिनेट पद के इच्छुक थे लेकिन सूत्रों ने कहा कि सिद्धारमैया ने सुनिश्चित किया कि उन्हें शामिल नहीं किया जाए। हरिप्रसाद डिप्टी सीएम डी.के.शिवकुमार के खेमेे के हैं।
इस घटनाक्रम ने कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर की कलह को खुलकर सामने ला दिया है। सिद्धारमैया खेमे से जुड़े मंत्रियों ने हरिप्रसाद के हमलों की निंदा की थी और उन्हें परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।
डिप्टी सीएम और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष डी.के.शिवकुमार की चुप्पी इस बात की इशारा करती है किपार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। सूत्र बताते हैं कि शिवकुमार सिद्धारमैया को रोकने के लिए हरिप्रसाद का इस्तेमाल कर रहे हैं।
हरिप्रसाद ने पिछले शनिवार को बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में विभिन्न पिछड़े वर्गों के नेताओं और धार्मिक संतों की बैठक करके मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन किया था।
हरिप्रसाद ने अपने पूरे भाषण में सिद्धारमैया का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधते हुए कहा था, ”दलित नेता जी. परमेश्वर ने सबसे लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह मुख्यमंत्री बनने के योग्य थे। उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के बावजूद उन्हें कर मंत्री बना दिया गया। उपमुख्यमंत्री पद के लिए किसी दलित को चुना जाना चाहिए था। मंत्री सतीश जारकीहोली को उपमुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था।”
हरिप्रसाद ने कहा, “अगर कोई सोचता है कि उसने सरकार बनाई है और अपनी इच्छा और पसंद के अनुसार काम करने का फैसला करता है, तो लोग उसका फैसला लेंगे। आप उनकी कुर्सी पर बैठकर देवराज उर्स (कर्नाटक के दिवंगत पूर्व सीएम और पिछड़े वर्गों के प्रतीक) नहीं बन जाएंगे। आपको सोचने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “अतीत में किसी भी मुख्यमंत्री ने जाति की राजनीति नहीं की है। धोती और घड़ी पहनकर समाजवादी होने का दावा करने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि धोती में खाकी (आरएसएस का रंग माना जाता है) छिपा हुआ है।”
हरिप्रसाद ने कहा, “आज हमारा समुदाय बंटा हुआ है। जब चुनाव आए तो ढेर सारी घोषणाएं हुईं। सत्ता में आने के बाद पिछड़े वर्गों को भुला दिया गया। हमें अपनी ही जनता की ताकत का एहसास नहीं हुआ।”
–आईएएनएस
एमकेएस