नई दिल्ली, 14 सितंबर (आईएएनएस)। भाजपा ने 18 सितंबर से शुरू होने जा रहे संसद के विशेष सत्र को लेकर पहले ही तीन लाइन का व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों को 18 से 22 सितंबर तक, पांचों दिन सदन की कार्यवाही के दौरान सारे दिन पूरे समय सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहकर सरकार के पक्ष का समर्थन करने का निर्देश दे दिया है।
सूत्रों की मानें तो भाजपा के बाद अब सरकार ने भी अपने सभी मंत्रियों को सत्र के दौरान सदन में मौजूद रहने का निर्देश जारी कर दिया है।
दरअसल, आमतौर पर संसद के सत्र के दौरान सरकार की तरफ से संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा में मंत्रियों की ड्यूटी लगाई ही जाती रही है और इसे रोस्टर ड्यूटी बोला जाता है, लेकिन यह ड्यूटी सिर्फ 4 घंटे की ही लगाई जाती है। यानी एक मंत्री को अपने रोस्टर समय के अनुसार 4 घंटे ही सदन में रहना पड़ता था और उसके बाद किसी दूसरे मंत्री की रोस्टर ड्यूटी शुरू हो जाया करती थी। लेकिन बताया जा रहा है कि संसद के विशेष सत्र को लेकर सरकार की तरफ से केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सभी मंत्रियों को पांचों दिन सदन में मौजूद रहने को कहा है।
इससे पहले भाजपा अपने लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों को अलग-अलग पहले ही 3 लाइन का व्हिप जारी कर विशेष सत्र के दौरान सभी दिन सदन में मौजूद रहने का निर्देश देते हुए यह कह चुकी है कि “कुछ अति महत्वपूर्ण विधायी कार्य चर्चा एवं पारित करने के लिए सोमवार दिनांक 18 सितंबर से शुक्रवार दिनांक 22 सितंबर 2023 को लाए जाएंगे और भाजपा के सभी सदस्यों से निवेदन है कि वे सोमवार दिनांक 18 सितंबर से शुक्रवार दिनांक 22 सितंबर 2023 तक पांचों दिन, पूरे समय सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहकर सरकार के पक्ष का समर्थन करें।”
सांसदों को व्हिप जारी कर पांचों दिन सदन में उपस्थित रहने का निर्देश देने के बाद विशेष सत्र के दौरान सभी मंत्रियों की स्पेशल ड्यूटी लगाने के सरकार के फैसले से फिर एक बार इन कयासों को बल मिलने लगा है कि भले ही सरकार ने सत्र के एजेंडे को सार्वजनिक कर दिया हो, लेकिन सरकार इस सत्र के दौरान कोई बड़ा और महत्वपूर्ण बिल या प्रस्ताव लाना चाहती है।
संसद के विशेष सत्र के एजेंडे को लेकर विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों के बीच सरकार ने बुधवार को ही विशेष सत्र का एजेंडा साफ कर दिया गया था। संसद के आगामी विशेष सत्र के दौरान आजादी के 75 सालों – संविधान सभा से लेकर आज तक की उपलब्धियां पर चर्चा होगी। इसके साथ ही सरकार की तरफ से यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि 75 वर्षों की यात्रा पर चर्चा के साथ-साथ चार महत्वपूर्ण विधेयक भी विशेष सत्र के एजेंडे में शामिल हैं। हालांकि, आमतौर पर यह टेंटेटिव एजेंडा होता है और सरकार सत्र के दौरान भी इसमें कोई नया एजेंडा जोड़ सकती है या इनमें से किसी को हटा भी सकती है।
–आईएएनएस
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