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Home ताज़ा समाचार

चीन यात्रा के दौरान शी से मिलेंगे नेपाल के पीएम प्रचंड

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September 15, 2023
in ताज़ा समाचार
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काठमांडू, 15 सितंबर (आईएएनएस)। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को कहा कि वह 22 सितंबर को चीन की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कई अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे।

प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

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“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

–आईएएनएस

एकेजे

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काठमांडू, 15 सितंबर (आईएएनएस)। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को कहा कि वह 22 सितंबर को चीन की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कई अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे।

प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

–आईएएनएस

एकेजे

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काठमांडू, 15 सितंबर (आईएएनएस)। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को कहा कि वह 22 सितंबर को चीन की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कई अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे।

प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

–आईएएनएस

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

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उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

–आईएएनएस

एकेजे

काठमांडू, 15 सितंबर (आईएएनएस)। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को कहा कि वह 22 सितंबर को चीन की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कई अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे।

प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

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संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

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वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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काठमांडू, 15 सितंबर (आईएएनएस)। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को कहा कि वह 22 सितंबर को चीन की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कई अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे।

प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

–आईएएनएस

एकेजे

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काठमांडू, 15 सितंबर (आईएएनएस)। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को कहा कि वह 22 सितंबर को चीन की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कई अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे।

प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

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संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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प्रचंड ने संसद को संबोधित करते हुए कहा, “संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में भाग लेने के बाद, मैं सीधे चीन के हांगझाऊ शहर के लिए रवाना हो जाऊंगा।

“नेपाल और चीन के बीच सदियों से लंबे, सौहार्दपूर्ण और नजदीकी संबंध रहे हैं। हाल के वर्षों में ये संबंध बहुआयामी और गहरे हो गए हैं। चीन नेपाल का विकास भागीदार बन गया है और नेपाल के समग्र विकास प्रयासों में सहायता कर रहा है।”

प्रधानमंत्री के रूप में प्रचंड की यह तीसरी चीन यात्रा है। वह इससे पहले 2008 और 2017 में पद पर रहते हुये पड़ोसी देश जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, “इस यात्रा से नेपाल और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत तथा गहरे होंगे।”

हांगझाऊ में प्रचंड शी से मुलाकात करेंगे और 19वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।

वह बीजिंग में 25 सितंबर को अपने चीनी समकक्ष ली कियांग से मुलाकात करेंगे जहां दोनों नेता प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। इस दौरान कुछ समझौतों और समझ पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

बीजिंग में कार्यक्रम पूरा करने के बाद प्रचंड अपने कार्यक्रम के अनुसार चोंगकिंग शहर का दौरा करेंगे जहां वह चोंगकिंग कृषि विज्ञान अकादमी और अन्य संस्थानों की दौरा करेंगे।

उन्‍होंने कहा, “चोंगकिंग में यात्रा पूरी करने के बाद हम तिब्बत के लिए रवाना होंगे जहां हम चीनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलेंगे क्योंकि तिब्‍बत के साथ नेपाल एक लंबी सीमा है। फिर हम काठमांडू लौटेंगे।”

संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नेपाल के बुनियादी ढांचे के विकास, कृषि, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में चीनी सहयोग और सहायता की मांग पर चर्चा होगी।

हिमालयी राष्ट्र नेपाल-चीन सीमा बिंदुओं को भी खोलने की मांग करेगा जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर बंद थे।

वर्ष 2015 के भीषण भूकंप और महामारी के बाद नेपाल और चीन के बीच कई सीमा बिंदु या तो पूरी तरह से बंद हो गए थे या केवल आंशिक रूप से फिर से शुरू हुए थे।

प्रचंड ने कहा, “नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में, यह मेरा विश्वास है कि मेरी यात्रा चीन के साथ पारंपरिक, मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत और गहरा करेगी, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग के और रास्ते भी तलाशेंगे।”

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