नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने-अपने खेमे को मजबूत करना तो कई महीने पहले ही शुरू कर दिया था, लेकिन सोमवार से शुरू होने जा रहा संसद का विशेष सत्र दोनों ही गठबंधन के लिए रणनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहने जा रहा है।
बताया जा रहा है कि संसद के इस विशेष सत्र के दौरान सरकार की नजरें खासतौर से विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल दलों पर रहेगी, जिसे सरकार और भाजपा कभी घमंडिया गठबंधन तो कभी अधर्मी और कभी आई.एन.डी.आई. गठबंधन कह कर संबोधित करती है।
दरअसल, संसद के इस विशेष सत्र के दौरान सरकार की नजरें खासतौर पर इस बात पर टिकी रहेगी कि लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर देशभर में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने का दावा करने वाले इन दल के बीच संसद के दोनों सदनों में कितना सामंजस्य है और नेताओं के स्तर पर किए जा रहे दावों के बीच सांसदों के स्तर पर इनके बीच किस हद तक समन्वय स्थापित हो गया है।
दरअसल, भाजपा के तमाम दिग्गज नेता यह बयान देते रहते हैं कि विपक्षी गठबंधन अंतर्विरोधों से भरा हुआ है जिसमें कांग्रेस आम आदमी पार्टी से दिल्ली और पंजाब में लड़ रही है, लेफ्ट दलों से केरल में लड़ रही है, ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के बिल्कुल खिलाफ है और इसी तरह के हालात देश के कई अन्य राज्यों में भी है और गठबंधन में शामिल हर नेता प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखता है।
सरकार ने संसद के विशेष सत्र को लेकर अपनी तरफ से एजेंडा साफ कर दिया है। संसद के आगामी विशेष सत्र के दौरान, आजादी के 75 सालों – संविधान सभा से लेकर आज तक की उपलब्धियां, यादों और अनुभव – पर चर्चा होगी।
इसके साथ ही सरकार की तरफ से यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि 75 वर्षों की यात्रा पर चर्चा के साथ-साथ इस पांच दिवसीय सत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023, डाकघर विधेयक 2023, अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक 2023 और प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक 2023 को भी चर्चा के बाद पारित करवाया जाएगा।
18 से 22 सितंबर के दौरान पांच दिन तक चलने वाले संसद के इस विशेष सत्र के आखिरी तीन दिनों यानी 20, 21 और 22 सितंबर के बीच ही सरकार सदन में इन विधेयकों को चर्चा के लिए पेश कर पारित करवाने का प्रयास करेगी।
संसद सत्र के एजेंडे पर सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति बनाने के लिए सरकार ने सत्र से एक दिन पहले रविवार,17 सितंबर को शाम 4:30 बजे संसद भवन परिसर में सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है।
सरकार की तरफ से केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने लोकसभा एवं राज्यसभा में सभी राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स को इस सर्वदलीय बैठक के लिए आमंत्रित किया है।
हालांकि, सरकार के एजेंडे और विपक्षी दलों के रुख को देखते हुए सर्वदलीय बैठक में आम सहमति होने की संभावना बहुत ही कम है और ऐसे में दोनों सदनों की कार्यवाही के दौरान सरकार की नजरें इस बात पर ज्यादा टिकी रहेगी कि क्या ये दल एकजुट होकर एक ही मुद्दे पर सरकार को घेरेंगे या फिर सभी दल अपने-अपने मुद्दों तक ही सीमित रहते हैं।
–आईएएनएस
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