भारत की सदियों पुरानी समृद्धशाली विरासत रही है तो आने वाले वर्षों में विकास की यात्रा भी
विरासत बनेगी। आज भारत दुनिया को अपनी गौरवशाली विरासत से परिचित करा रहा है और गर्व
की अनुभूति कर रहा है…
अब हमारी ताकत देखिए। हम वो लोग हैं जो प्रकृति के साथ जीना जानते हैं। प्रकृति को प्रेम करना
जानते हैं।
हमारे पास वो विरासत है, ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हम लोगों के पास
है। हमारे पूर्वजों का दिया हुआ है।
nहमारी विरासत पर हमें गर्व होना चाहिए। जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे, तभी तो ऊंचा उड़ेंगे, और
जब हम ऊंचा उड़ेंगे तो हम विश्व को भी समाधान दे पाएंगे।श्
nआज दुनिया समग्र स्वास्थ समाधान की चर्चा कर रही है लेकिन जब इसकी चर्चा करती है तो
उसकी नजर भारत के योग पर जाती है, भारत के आयुर्वेद पर जाती है, भारत के समग्र जीवनशैली पर
जाती है। ये हमारी विरासत है जो हम दुनिया को दे रहे हैं। दुनिया आज उससे प्रभावित हो रही है।
nजब हम पर्यावरणीय अनुकूल जीवनशैली की बात करते हैं, हम लाइफ मिशन की बात करते हैं तो
दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हैं। हमारे पास ये सामर्थ्य है। हमारा बड़ा धान मोटा धान मिलेट,
हमारे यहां तो घर-घर की चीज रही है। ये हमारी विरासत है, हमारे छोटे किसानों के परिश्रम से छोटी-
छोटी जमीन के टुकड़ों में फलने-फूलने वाली हमारी धान।
nसंयुक्त परिवार की एक पूंजी सदियों से हमारी माताओं-बहनों के त्याग बलिदान के कारण परिवार
नाम की जो व्यवस्था विकसित हुई ये हमारी विरासत है। इस विरासत पर हम गर्व कैसे न करें। हम
तो वो लोग हैं जो जीव में भी शिव देखते हैं। हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं। हम वो
लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं। हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं। हम वो लोग
हैं जो हर कंकर में शंकर देखते हैं। ये हमारा सामर्थ्य है हर नदी में मां का रूप देखते हैं। पर्यावरण
की इतनी व्यापकता विशालता ये हमारा गौरव जब विश्व के सामने खुद गर्व करेंगे तो दुनिया करेगी।
हम वो लोग हैं जिसने दुनिया का कल्याण देखा है, हम जग कल्याण से जन कल्याण के राही रहे हैं।
जन कल्याण से जग कल्याण की राह पर चलने वाले हम लोग जब दुनिया की कामना करते हैं, तब
कहते हैं- सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सबके सुख की बात सबके आरोग्य की बात करना
यह हमारी विरासत है। यह प्रण शक्ति है हमारी, जो हमारे 25 साल के सपने पूरा करने के लिए
जरुरी है। –नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री