चेन्नई, 24 सितंबर (आईएएनएस)। अन्नाद्रमुक 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी द्वारा उतारे जा सकने वाले उम्मीदवारों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए मतदान एजेंसी का गठन करेगी।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के.अन्नामलाई और अन्नाद्रमुकनेतृत्व के बीच मुकाबला चरम पर होने के कारण पार्टी अगले आम चुनाव में गरीब उम्मीदवारों को मैदान में नहीं उतारना चाहती।
पार्टी राज्य के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी ताकत और कमजोरियों का आकलन करना और सीटों के बंटवारे को लेकर सौदेबाजी भी करना चाहती है। बीजेपी ने 2019 के आम चुनाव में अन्नाद्रमुकके साथ गठबंधन में 5 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह कोई भी सीट नहीं जीत सकी। 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अन्नाद्रमुकगठबंधन में 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटों पर जीत हासिल की।गौरतलब है कि तमिलनाडु में विधानसभा की 239 सीटें हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की राय है कि तमिलनाडु में एक मजबूत सत्ता विरोधी लहर है और 2024 के आम चुनावों में डीएमके के नेतृत्व वाले मोर्चे को सीटें गंवानी पड़ेंगी। हालांकि डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन बार-बार अपने कार्यकर्ताओं से 2019 के आम चुनावों में क्लीन स्वीप को दोहराने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए संवाद कर रहे हैं।
अन्नाद्रमुकके अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सर्वेक्षण का विचार न केवल प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए कुछ उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करना है, बल्कि तमिलनाडु में एनडीए गठबंधन की ताकत का आकलन करना भी है।
अन्नाद्रमुक नेताओं के खुले तौर पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई के खिलाफ सामने आने से, पार्टी इस विवाद पर जनता की प्रतिक्रिया प्राप्त करना चाहती है। राज्य में भाजपा के साथ राजनीतिक गठबंधन होने के बावजूद अन्नाद्रमुक भी अपनी जमीन बरकरार रखना चाहती है।
पार्टी यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि वह दक्षिण तमिलनाडु के जिलों के गढ़ों में अपनी ताकत न खोए, जहां थेवर समुदाय, जो कि अन्नाद्रमुकका पारंपरिक वोट बैंक है, मजबूत है।
पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी समन्वयक ओ. पन्नीरसेल्वम, पूर्व अंतरिम महासचिव वी.के. शशिकला और उनके भतीजे और पार्टी के पूर्व विधायक टीटीवी दिनाकरण को अन्नाद्रमुकसे निष्कासित किए जाने के बाद लगातार यह प्रचार चल रहा है कि एआईएडीएमके ने थेवरों के बीच अपना समर्थन आधार खो दिया है। गौरतलब है कि ये तीनों नेता थेवर समुदाय से हैं।
अन्नाद्रमुक के उच्च पदस्थ सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि सर्वेक्षण अक्टूबर में शुरू होगा और तीन से चार सप्ताह तक जारी रहेगा। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र का विस्तृत सूक्ष्म-स्तरीय अध्ययन किया जाएगा और साथ ही विचाराधीन अन्नाद्रमुकके स्थानीय नेताओं के बारे में भी अध्ययन किया जाएगा।
–आईएएनएस
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