भोपाल, 26 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए आंतरिक और बाहर से होने वाला विरोध चुनौती बन गया है और अब पार्टी ने इसे रोकने के लिए विधानसभा चुनाव में दिग्गजों को मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेला है।
राज्य में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जो भाजपा के लिए बहुत आसान नहीं है। यह पार्टी का राज्य से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक जानता है। लिहाजा इन स्थितियों में उसके लिए पार्टी के ही नेताओं का विरोध नई चुनौती बन रहा है।
इस चुनौती को रोकने की रणनीति पर लगातार पार्टी काम कर रही है। भाजपा के 39 उम्मीदवारों की नई सूची को इसी विरोध को रोकने की कवायद का हिस्सा माना जा रहा है।
भाजपा के उम्मीदवारों की दूसरी सूची में तीन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रहलाद पटेल के अलावा चार सांसद रीती पाठक, उदय प्रताप सिंह, राकेश सिंह और गणेश सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है।
इन दिग्गजों को उतारने के पीछे स्थानीय स्तर पर होने वाले विरोध को थमने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। भाजपा ने इस सूची में ग्वालियर चंबल के दिग्गज नरेंद्र सिंह तोमर, मालवा निमाड़ के कैलाश विजयवगीयर्, आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा महाकौशल इलाके में प्रभाव रखने वाले राकेश सिंह और प्रहलाद पटेल को मैदान में उतारा है।
इस तरह माना जा रहा है कि भाजपा इन प्रभावशाली नेताओं के राजनीतिक प्रभाव का असर असंतोष को कम करने के साथ कांग्रेस की कब्जे वाली सीटों को छीनने के लिए मैदान में उतारा है।
कमलनाथ ने भाजपा की दूसरी सूची पर तंज कसते हुए कहा, दूसरी लिस्ट पर एक ही बात फिट है- नाम बडे और दर्शन छोटे।
उन्होंने कहा, “भाजपा ने मप्र में अपने सांसदों को विधानसभा का टिकट देकर साबित कर दिया है कि भाजपा न तो 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत रही है, न 2024 के लोकसभा चुनाव में। इसका सीधा अर्थ ये हुआ कि वो ये मान चुकी है कि एक पार्टी के रूप में तो वो इतना बदनाम हो चुकी है कि चुनाव नहीं जीत रही है, तो फिर क्यों न तथाकथित बड़े नामों पर ही दांव लगाकर देखा जाए।”
वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व ने अबतक 78 प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतार दिया है। इस बार हमारा वरिष्ठ, अनुभवी और संघर्षशील नेतृत्व मध्य प्रदेश के चारों कोनों पर मुस्तैद है।
राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की खास नजर कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर है और जिन सीटों पर कांग्रेस बहुत ज्यादा मजबूत है, वहां पार्टी ने अपने दिग्गज नेताओं को उतारा है। इतना ही नहीं, पार्टी यह उम्मीद कर रही है कि आसपास की कुछ सीटों को भी इन नेताओं के प्रभाव का लाभ होगा। इसके अलावा पिछले चुनाव की हारी हुई सीटों पर नए चेहरों को मौका देने से विरोध बढ़ सकता है। इस स्थिति में एक ही रास्ता है कि संबंधित क्षेत्र क प्रभावशाली नेता को मैदान में उतारा जाए।
–आईएएनएस
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