गोरखपुर, 27 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया के अंदर विकास की भावना क्या होनी चाहिए, यह भारत ने ही दिया है।
मुख्यमंत्री योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 54वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 9वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतर्गत संगोष्ठी के क्रम में प्रथम दिन बुधवार को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना की आधारशिला’ विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक संकल्प दिया। उत्तर से दक्षिण तक तथा पूर्व से पश्चिम तक एक भावना से सभी को संबल प्रदान किया। देश के 120 जनपद नक्सल प्रभावित थे, पूर्वोत्तर अराजकता से भरा था।
पीएम मोदी ने अपने नेतृत्व में भेदभाव की भावना को समाप्त कर विकास योजनाओं से जोड़कर इन सभी क्षेत्रों को विकास की धारा में ला दिया। कश्मीर हो या कन्याकुमारी, अरूणांचल हो या द्वारिकापुरी, सभी देशवासियों को सीधे विकास की परियोजनाओं से जोड़कर एक-दूसरे राज्यों से परस्पर संबंध बनाकर, भारत को समानभाव से समझने का अवसर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लाल किला से पंच प्रण का संकल्प लेकर देशवासियों को यह भाव दिया कि हमें एक विकसित भारत का निर्माण करना है। जो गुलामी के प्रतीक हैं, उनसे मुक्ति पाकर स्वदेशी पर गर्व करते हुए आत्मनिर्भर बनाना होगा।
योगी ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने अपना पूरा जीवन भारत और भारतीयता के लिए समर्पित कर दिया। इन महापुरुषों के आदर्शों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंच प्रण को अपने दायित्व से जोड़कर हम सभी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को सिद्ध करेंगे।
भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि गोरक्षपीठ में आकर अनुभव हो रहा है कि यहां ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ ही नहीं बल्कि ‘एक भारत, सर्वश्रेष्ठ भारत’ का भाव है। हमारे देश में जय जवान, जय किसान के उदघोष में प्रधानमंत्री जी ने जय विज्ञान जोड़ा है। आने वाले समय में उसमें जय ज्ञान जोड़ा जाएगा।
उच्च शिक्षा आयोग प्रयागराज के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कहा कि यह सभागार चेतना का सभागार है। यहां जो धूनी जलती है वह निरंतर राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करती है। यह भारत भूमि ऐसी भूमि है, जहां देवता भी आने के लिए लालायित रहते हैं। आज एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना कैसे सिद्ध होगी इस पर पीएम मोदी ने विचार किया और देश के करोड़ों जनमानस को इसके लिए आह्वान किया।
अशर्फी भवन अयोध्या से पधारे जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य जी महाराज ने कहा कि भारत केवल भूमि नहीं है अपितु भारत माता हमारी दैवीय शक्ति है। यहां रहने वाले विविधता में भी एकता की भावना रखते हैं। हमें भारत के गौरव के लिए व भारत की एकता के लिए सदैव मिलकर काम करना चाहिए।
–आईएएनएस
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