प्रकृति हमें जीवन देती है और ऊर्जा हमें गतिमान रखती है। प्रकृति की पूजा करने वाले हमारे देश में
बायोफ्यूल या जैविक ईंधन, प्रकृति की रक्षा का ही एक पर्याय है। हमारे लिए जैव ईंधन का मतलब
है हरियाली लाने वाला ईंधन, पर्यावरण को बचाने वाला ईंंधन। जैविक ईंधन प्लांट से न केवल
प्रदूषण कम होता है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा में किसानों का योगदान और बढ़ता है। साथ ही देश को
एक वैकल्पिक ईंधन भी मिलता है। जैव ईंधन को बढ़ावा देने वाली इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने 10 अगस्त को विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर, हरियाणा के पानीपत में दूसरी पीढ़ी
का (2जी) इथेनॉल संयंत्र राष्ट्र को किया समर्पित…
जहां धान और गेहूं की पैदावार ज्यादा होती है, वहां पराली का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता। इस
समस्या का समाधान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर
पानीपत में 2जी इथेनॉल संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया। पानीपत के इस जैविक ईंधन प्लांट से
पराली को बिना जलाए भी उसका निपटारा हो पाएगा और इसके एक नहीं, दो नहीं बल्कि कई सारे
फायदे एक साथ होने वाले हैं। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “पानीपत के जैविक ईंधन
प्लांट से पराली का बिना जलाए भी निपटारा हो पाएगा। पराली किसानों के लिए बोझ थी, परेशानी
का कारण थी, वही उनके लिए, अतिरिक्त आय का माध्यम बनेगी। पर्यावरण की रक्षा में किसानों का
योगदान और बढ़ेगा तथा देश को एक वैकल्पिक ईंधन भी मिलेगा।” केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में
किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ पेट्रोल, डीजल, गैस का विकल्प तैयार करना भी शामिल है। यह
संयंत्र उसी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इतना ही नहीं इस संयंत्र की वजह से दिल्ली-एनसीआर और पूरे
हरियाणा में प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी। दरअसल, ऊर्जा की सतत आवश्यकता भारत जैसे
देश के लिए बहुत जरूरी है। ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए पिछले कुछ वर्षों में सशक्त
प्रयास शुरू किए गए। संयंत्र का लोकार्पण, देश में जैव ईंधन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने
के लिए सरकार द्वारा वर्षों से उठाए गए कदमों की एक लंबी श्रृंखला का हिस्सा है। यह ऊर्जा क्षेत्र
को अधिक किफायती, सुलभ, कुशल और टिकाऊ बनाने के लिए प्रधानमंत्री के निरंतर प्रयास के अनुरूप
है।
जैव ईंधन दिवस
विश्व जैव ईंधन दिवस हर साल 10 अगस्त के दिन वैसे अपरंपरागत जीवाश्म ईंधन के महत्व के बारे
में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में काम
कर सकता है। यह दिवस ‘सर रुडोल्फ डीजल’ के सम्मान में मनाया जाता है। वह डीजल इंजन के
आविष्कारक थे और जीवाश्म ईंधन के विकल्प के तौर पर वनस्पति तेल के प्रयोग की संभावना की
भविष्यवाणी करने वाले पहले व्यक्ति थे। n
कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा में सालाना 3 लाख टन की कमी
2जी का मतलब है 2nd Generation यानी दूसरी पीढ़ी। इस 2जी इथेनॉल संयंत्र का निर्माण इंडियन
ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा 900 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत से किया गया
है।
अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक पर आधारित, यह परियोजना सालाना लगभग तीन करोड़ लीटर इथेनॉल
का उत्पादन करेगी। इसमें सालाना लगभग दो लाख टन चावल के भूसे (पराली) का उपयोग होगा।
यह कचरे से धन अर्जित करने के प्रयासों की दिशा में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगी।
क्षेत्र के एक लाख से अधिक किसानों से सीधे कृषिगत फसलों का अवशेष प्राप्त किया जाएगा। इससे
किसान सशक्त बनेंगे और उन्हें अतिरिक्त आय सृजित करने का अवसर मिलेगा।
यह परियोजना इस संयंत्र के संचालन में शामिल लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी और धान
के पुआल को काटने, संभालने, भंडारण आदि के जरिए आपूर्ति श्रृंखला में अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होगा।
पराली को जलाने में कमी के माध्यम से, यह परियोजना ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में सालाना
लगभग तीन लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के बराबर की कमी लाने में योगदान देगी,
जिसे देश की सड़कों से सालाना लगभग 63,000 कारों के हटने के बराबर माना जा सकता है।
किसानों को हुआ है बहुत बड़ा लाभ
पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से बीते 7-8 साल में देश के करीब 50 हजार करोड़ रुपये विदेश जाने से
बचे हैं और करीब-करीब इतने ही हजार करोड़ रुपये इथेनॉल मिश्रण की वजह से हमारे देश के
किसानों के पास गए हैं।
8 साल पहले तक देश में सिर्फ 40 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता था। अब यह उत्पादन
करीब 400 करोड़ लीटर है। इससे किसान, गन्ना किसानों को बहुत बड़ा लाभ हुआ है।
पाइप से गैस के कनेक्शन का आंकड़ा 1 करोड़ को छू रहा है। देश इस लक्ष्य पर भी काम कर रहा
है कि अगले कुछ वर्षों में देश के 75 प्रतिशत से ज्यादा घरों में पाइप से गैस पहुंचने लगे।